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मिलावटी शहद: गुणवत्ता को लेकर याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया, याचिकाकर्ता ने किया ये दावा

jantaserishta.com
19 April 2021 1:28 PM GMT
मिलावटी शहद: गुणवत्ता को लेकर याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया, याचिकाकर्ता ने किया ये दावा
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नई दिल्ली: भारत में बिकने वाले बड़ी कंपनियों के शहद की शुद्धता पर संदेह जताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया. याचिका में यह कहा गया है कि बड़ी कंपनियां चीन से आयातित मीठे घोल को शहद में मिला रही हैं. इस घोल को इस तरह से बनाया गया है कि शहद की शुद्धता जांचते समय इसकी अलग से पहचान नहीं हो पाती है. इसलिए, कोर्ट मामले की जांच का आदेश दे और जांच रिपोर्ट अपने पास तलब करे.

एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट नाम के संगठन की तरफ से दाखिल याचिका की पैरवी वरिष्ठ वकील वी के शुक्ला ने की. उन्होंने कोर्ट को बताया की चीन फ्रक्टोज़ सिरप के नाम से चीनी का घोल भारत में निर्यात कर रहा है. उस घोल के बारे में दावा किया जाता है कि यह शहद के साथ घुल-मिल जाता है. शहद की शुद्धता जांचने के लिए जो साधारण टेस्ट होते हैं, उनमें इसकी मिलावट का पता नहीं चल पाता है.
याचिकाकर्ता ने बताया है कि डाबर, पतंजलि, झंडू और वैद्यनाथ जैसी तमाम कंपनियां अपने शहद के पूरी तरह से शुद्ध होने का दावा करते हैं. उन्हें फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) ने प्रमाणित भी किया है. लेकिन सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (CSE) नाम की जानी-मानी संस्था ने जब इन उत्पादों की जांच की, तो उनकी गुणवत्ता सही नहीं निकली. यह जांच तब की गई जब देखा गया कि बाजार में शहद की मांग बढ़ने के बावजूद मधुमक्खी पालन करने वाले लोगों की आमदनी में कोई बढ़त नहीं हुई है. CSE ने जांच में पाया कि शहद के कई ब्रांड ऐसे हैं जिनमें चाइनीज़ मीठा सिरप मिलाया गया है.
वकील ने कहा कि जो लोग शुगर और दूसरी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं, वह चीनी का सेवन करना बंद कर शहद लेते हैं. ऐसे में शहद में चीनी की मिलावट उनके स्वास्थ्य को खतरा पहुंचा सकता है. कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी शुगर के मरीजों के लिए घातक साबित हो रही है. ऐसे में उन्हें अगर मिलावटी शहद खाना पड़ रहा हो, तो नुकसान को समझा जा सकता है.
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामास्वामी की बेंच ने याचिका में उठाए गए जन स्वास्थ्य के मुद्दे को गंभीर माना. जजों ने थोड़ी देर की सुनवाई के बाद याचिका पर नोटिस जारी कर दिया. याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के अलावा सभी राज्य सरकारों को मामले में प्रतिवादी बनाया है.
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