एडीआर की ओर से मतदाताओं की जानकारी जनता तक लाने से पहले तीन स्तरों पर इसकी जांच की जाती है, ताकि किसी भी प्रकार की कोई गलती की गुंजाइश न हो। हमारा मानना है कि लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि हर मतदाता अपने उम्मीदवार को अच्छे से जानें। यह कहना है कि एडीआर के सदस्य सुधीर पाल का। वे दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट विश्वास न्यूज के एक खास कार्यक्रम में बोल रहे थे। विश्वास न्यूज की मुहिम 'सच के साथी : विधानसभा चुनाव 2022' के तहत रविवार को लखनऊ के मतदाताओं को फैक्ट चेक करने की ट्रेनिंग दी गई। साथ ही उनसे मतदान जरूर करने की अपील भी की गई।
एडीआर के सदस्य सुधीर पाल ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जनता का जानने का अधिकार है। परंपरागत मीडिया में गेट कीपर्स होते हैं। फैक्ट को चेक करने के बाद ही सूचना का प्रवाह किया जाता है, लेकिन सोशल मीडिया में ऐसा नहीं है। जहां पाठक, लेखक और संपादक सब एक ही आदमी है। सोशल मीडिया के बूम के कारण फेक कंटेंट ज्यादा फैल रहा है। वेबिनार में एमिटी स्कूल आफ कम्युनिकेशन के डायरेक्टर डा. संजय जौहरी ने बताया कि कुछ आनलाइन टूल्स के माध्यम से फर्जी कंटेंट को पहचानकर रोका जा सकता है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय कुमार ने कहा कि आचार संहिता के अलावा आईटी एक्ट के तहत भी गलत या अप्रिय मैसेज देना भी जुर्म की श्रेणी में आ सकता है। यदि कोई उम्मीदवार किसी प्रकार का अप्रिय संदेश या सूचना देते हैं तो आईटी एक्ट के तहत सजा का भी प्रवाधान है।
कार्यक्रम में करियर मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. आशीष वर्मा ने कहा कि कोविड की शुरुआती लहरों के बीच सोशल मीडिया में इसके इलाज को लेकर कई प्रकार का फेक कंटेंट वायरल हुआ। फर्जी मैसेजों के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई। वैक्सीन को लेकर लोग तैयार ही नहीं हो रहे थे। लोगों को समझाना पड़ता था कि इस पर भरोसा रखें। दुनियाभर में हो रहे अध्ययन और एक्सपर्ट के बयानों से मरीजों को समझाते थे, ताकि किसी प्रकार का पैनिक न हो। माडर्न गर्ल्स कालेज आफ प्रोफेशनल स्टडीज की मास कॉम की हेड प्रो. सुनयना अस्थाना ने कहा कि मैसेज को पहले चेक करें। फिर फारवर्ड करें। यदि एक बार मैसेज को वेरिफाई कर लिया गया तो फेक कंटेंट को रोकने में बड़ी मदद की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 'विश्वास न्यूज' एक आनलाइन वर्कशाप के माध्यम से मतदाताओं को चुनाव में फैलने वाली फर्जी खबरों, दुष्प्रचार और अफवाहों को पहचान कर रोकने का प्रशिक्षण दे रहा है। 'सच के साथी' अभियान में फैक्ट चेकर के साथ चुनाव, चिकित्सा और शिक्षा से जुड़े शीर्ष विशेषज्ञ रूबरू हो रहे हैं। लखनऊ के लिए रविवार को हुई वेबिनार का संचालन करते हुए विश्वास न्यूज के फैक्ट चेकर्स शरद प्रसाद अस्थाना और प्रज्ञा शुक्ला ने फैक्ट चेक के ऑनलाइन टूल्स के बारे में जानकारी दी।