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एडिनोवायरस का कहर, सैंकड़ों बच्चे अस्पताल में भर्ती

Admin2
18 Feb 2023 1:04 PM GMT
एडिनोवायरस का कहर, सैंकड़ों बच्चे अस्पताल में भर्ती
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कोलकाता: दक्षिण बंगाल में कोलकाता सहित जिला में एडिनोवायरस कहर बरपा रहा है. कोलकाता के सरकारी और निजी अस्पताल एडिनोवायरस और सर्दी-बुखार से पीड़ित एडिनोवायरस का कहर, सैंकड़ों बच्चे अस्पताल में भर्ती के जनरल बेड ही नहीं, गहन चिकित्सा कक्ष भी बुखार, सर्दी और खांसी से पीड़ित बच्चों से भरे हुए हैं. कोलकाता और जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों की इस भयावह तस्वीर ने कोविड के बाद के दौर में एक नई दहशत पैदा कर दी है. पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में भी बेड की कमी हो गई है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने नई गाइडलाइंस जारी की है.
डॉक्टरों के मुताबिक बुखार-सर्दी-खांसी से पीड़ित 90 फीसदी बच्चों में सांस की नली में इंफेक्शन है. उनमें से ज्यादातर वायरल निमोनिया से संक्रमित हैं. इनमें से ज्यादातर फिर एडिनोवायरस के शिकार हैं और मृत्यु के मामले में एडिनोवायरस संक्रमित बच्चों की संख्या ज्यादा है.
कोलकाता में कई बच्चों की मौत, सैंकड़ों अस्पताल में भर्ती
प्राप्त जानकार के अनुसार एएमआरआई अस्पताल में 115, बीसी शिशु अस्पताल में 85 और कोलकाता मेडिकल अस्पताल में 80 बच्चे भर्ती हैं. डॉक्टरों का दावा है कि यह वायरस 2018-19 के बाद लौटा है. कई बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय की गंभीरता तीन साल पहले की स्थिति को पार कर गई है,. एक कारण प्रतिरक्षा की कमी माना जा रहा है. कोविड के कारण नजरबंद बच्चों को लंबे समय तक अलग-थलग रखा गया है. नतीजतन, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एडिनोवायरस से कुछ बच्चों की मौत भी हुई है, हालांकि उन्होंने आंकड़ा बताने से इनकार करते हुए कहा कि इनकी संख्या सिंगल डिजिट में ही है.
शिशु वार्ड में बीमार बच्चे भर्ती, अभिभावक परेशान
कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सामान्य बाल चिकित्सा वार्ड में जगह नहीं है. बीसी राय चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भी मरीजों की भीड़ लगी है. जिला अस्पताल में एक बेड पर दो-तीन लोगों को रखना पड़ रहा है. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हर कोई वायरल-पैनल परीक्षण करवा रहा है, इतना नहीं, लेकिन एडिनो का प्रकोप अधिक है. डॉक्टरों का कहना है, बच्चे बुखार, सर्दी, खांसी और सांस लेने में तकलीफ के साथ आ रहे हैं. दो साल से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा खतरा होता है." डॉक्टरों का कहना है कि बुजुर्गों को भी नहीं छोड़ा गया है. वे बुखार और लंबी खांसी से पीड़ित हैं. डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में बार-बार बदलाव वायरस के बढ़ने के अनुकूल है.
एडिनोवायरस से बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित
उन्हीं के शब्दों में, "मास्क पहनना बंद हो गया है, स्कूल-कॉलेज भी खुल गए हैं. इसलिए, बहुत से लोग जलवायु परिवर्तन का मुश्किल से सामना कर पा रहे हैं. जनवरी में स्वास्थ्य विभाग ने 500 सैंपल जांच के लिए नेसेद भेजे थे. इनमें से 32 फीसदी एडिनोवायरस, 12 फीसदी राइनो और 13 फीसदी पैराइन्फ्लुएंजा वायरस थे. स्वास्थ्य निदेशक सिद्धार्थ नियोगी ने कहा, "हालात को देखते हुए मास्क पहनने की आदत रखने को कहा जा रहा है. उनका कहना है, "अगर बच्चा बीमार है तो सांस लेने की दर पर नजर रखनी चाहिए. दस्त और पेशाब होने पर इसे देखना चाहिए. एडिनोवायरस के मामले बढ़ गए हैं, लेकिन यह जानने के लिए वायरल-पैनल टेस्ट की जरूरत है कि प्रभावित सभी लोग वायरस के शिकार हैं या नहीं.
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