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हॉस्पिटल की चूक पर कार्रवाई: महिला के आंत में लगा कट, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सुनाया ये फैसला

jantaserishta.com
22 April 2021 6:16 AM GMT
हॉस्पिटल की चूक पर कार्रवाई: महिला के आंत में लगा कट, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सुनाया ये फैसला
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लेकिन महिला को इसकी जानकारी नहीं दी गई.

पंजाब के एक अस्पताल एक महिला की सर्जरी के दौरान डॉक्टर ने उसके इंटेस्टाइन में कट लगा दिया, लेकिन महिला को इसकी जानकारी नहीं दी गई. इस मामले में पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बठिंडा स्थित निजी अस्पताल को 26 वर्षीय मनसा नाम की महिला को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये और कथित चिकित्सा लापरवाही के लिए मुकदमेबाजी के रूप में 11,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

26 वर्षीय महिला नीतू रानी ने आयोग में अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उन्हें पेट में दर्द का हुआ, फिर उन्हें गर्ग डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाया गया, जहां उनका अल्ट्रासाउंड स्कैन किया गया. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से यह पता चला है कि मरीज को ट्यूब प्रेग्नेंसी हो रही थी और उन्हें तत्काल उपचार लेने की सलाह दी गई थी.
25 अप्रैल, 2017 को मरीज को नागपाल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में लाया गया था, जहां उसकी जांच डॉ. रूपिंदर कौर नागपाल ने की थी. गर्ग डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा तैयार अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को उन्होंने देखा और उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में उसकी सर्जरी हुई, लेकिन उसे पेट दर्द का अनुभव होता रहा. डॉक्टर से संपर्क करने पर उसे एक दवा और एक इंजेक्शन लगाया गया, हालांकि वह लगातार गंभीर दर्द और उल्टी से पीड़ित रही.
उसकी स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद, उसे आखिर में दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (DMC), लुधियाना में 8 मई, 2017 को ले जाया गया, जहां उसकी सर्जरी की गई और 27 मई, 2017 को उसे छुट्टी दे दी गई. शिकायत के अनुसार, मरीज को बाद में पता चला कि नागपाल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जरी के दौरान उसकी आंत में कट लग गया था.
नागपाल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने आयोग में प्रस्तुत जवाब में कहा कि 26 अप्रैल, 2017 को किए गए एक्टोपिक की सर्जरी के दौरान कोई आंत का कट नहीं हुआ था. यह तथ्य न तो डीएमसी अस्पताल के रिकॉर्ड में आया है और न ही इसे साबित करने के लिए कोई विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है. DMC अस्पताल जाने से पहले, रोगी को सभी उपचार रिकॉर्ड दिए गए थे. शिकायत में लगाए गए अन्य सभी आरोपों से हॉस्पिटल ने इनकार किया.
आयोग ने दलीलें सुनने के बाद कहा, 'डॉ. रूपिंदर कौर नागपाल ने सीटी स्कैन नहीं करवाया, जो पेट दर्द का आकलन करने के लिए किया जाना चाहिए था, इस मामले में लापरवाही साफ दिखती है, इस चूक के लिए महिला को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये और कथित चिकित्सा लापरवाही के लिए मुकदमेबाजी के रूप में 11,000 रुपये का भुगतान करना होगा.


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