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आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर तंज कसा

Admindelhi1
9 April 2024 3:50 AM GMT
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर तंज कसा
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ये घोषणापत्र मल्लिकार्जुन खरगे का घोषणा पत्र नहीं जिन्ना का घोषणापत्र लगता है:आचार्य प्रमोद कृष्णम

दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व नेता और संभल स्थित कल्कि धाम के प्रमुख आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर तंज कसा है. गाजियाबाद में सोमवार (8 अप्रैल, 2024) को उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर कहा, "कांग्रेस का घोषणा पत्र देखकर लगता है कि ये महात्मा गांधी की कांग्रेस नहीं जिन्ना की कांग्रेस है. ये घोषणापत्र मल्लिकार्जुन खरगे का घोषणा पत्र नहीं जिन्ना का घोषणापत्र लगता है."

इससे पहले कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणापत्र 6 अप्रैल को जारी किया था. इस घोषणापत्र में पार्टी ने 5 न्याय, 25 गारंटी के साथ 300 से ज्यादा वादे किए हैं. अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने 'एक देश, एक चुनाव' का भी विरोध किया है. 48 पेज के इस मेनिफेस्टो में पार्टी ने किसान, यूथ, महिलाओं, बुजुर्ग और युवाओं को ध्यान में रखकर भी कई वादे किए हैं.

पीएम मोदी ने भी कसा था मेनिफेस्टो पर तंज: इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कांग्रेस के मेनिफेस्टो की तुलना मुस्लिम लीग से कर चुके हैं. इसे लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज करा चुकी है. पीएम मोदी ने नवादा, सहारनपुर और पुष्कर की रैलियों में कांग्रेस के घोषणा-पत्र (न्याय पत्र) को पूरी तरह से मुस्लिम लीग की छाप वाला बताया था. साथ ही यह भी कहा था कि न्याय पत्र का जो हिस्सा बचा हुआ है, उस पर वामपंथियों का प्रभाव है.

आयकर के नोटिस को लेकर भी कांग्रेस पर किया था हमला: इससे पहले भी प्रमोद कृष्णम कांग्रेस पर हमला बोल चुके हैं. इसी महीने की शुरुआत में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के वित्तीय लेनदेन की बढ़ती जांच को लेकर हमला किया था. तब आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि देश का पैसा लूट लिया गया है और इसलिए पार्टी को जांच से निपटना होगा. कांग्रेस पार्टी को करीब 1700 करोड़ रुपये के आयकर नोटिस पर प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि कांग्रेस नेताओं को बताना चाहिए कि उन्हें इतना बड़ा नोटिस क्यों मिला है. इतना पैसा कहां से आया? एक अपराधी कभी अपना अपराध स्वीकार नहीं करता है. देश का पैसा लूटा गया है और यह एक सच्चाई है. जब इस लूट की जांच की जा रही है तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए. उन्हें भारत की न्यायपालिका पर विश्वास होना चाहिए.

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