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एक्सीडेंटल फायरिंग: भारतीय मिसाइल को नहीं गिरा सका पाकिस्तान, नाकामी हुई उजागर

jantaserishta.com
17 March 2022 8:03 AM GMT
एक्सीडेंटल फायरिंग: भारतीय मिसाइल को नहीं गिरा सका पाकिस्तान, नाकामी हुई उजागर
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नई दिल्ली: भारत की एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल हाल ही में पाकिस्तान में क्रैश हो गई. इस मिसाइल क्रैश से पाकिस्तान में खलबली मच गई और भारत-पाकिस्तान के बीच एक नया विवाद छिड़ गया. ये कोई पहला मौका नहीं है जब भारत के रूसी मूल के सुपरसोनिक मिसाइल ने पाकिस्तान में हंगामा खड़ा किया हो. इस तरह की घटनाओं से पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़ा होता है.

इस घटना के कुछ दिनों बाद ब्रह्मोस मिसाइल एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. समाचार एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट में बताया कि भारत ब्रह्मोस के लिए एक एयर-लॉन्च वर्जन विकसित कर रहा है जिससे ब्रह्मोस मिसाइल 800 किलोमीटर से अधिक दूरी पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में सक्षम होगी. इससे पहले ब्रह्मोस 300 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम थी.
ब्रह्मोस के नौसेना वर्जन की मारक क्षमता 350-400 किलोमीटर है. घटना से पहले 5 मार्च को आईएनएस युद्धपोत से मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. इस परीक्षण के दौरान मिसाइल ने अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल रडार डिटेक्शन से बचने में भी सक्षम है. भारत में लगातार ब्रह्मोस की सीमा बढ़ाई जाती रही है. शुरुआत में इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर थी जिसे बढ़ाकर 350-400 किलोमीटर किया गया. अब इसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर होगी.
भारत की तरफ से 9 मार्च को एक सुपरसोनिक मिसाइल पाकिस्तान में 124 किलोमीटर अंदर जा गिरी. मिसाइल के गिरने से कोई हताहत नहीं हुआ बस एक गोदाम को नुकसान पहुंचा. घटना पर पाकिस्तान ने कहा कि ये पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन है और इससे किसी की जान भी जा सकती थी. भारत ने घटना पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि रूटीन मेंटेनेंस के दौरान गलती से मिसाइल फायर हो गई.
पाकिस्तान में मिसाइल के जाने और क्रैश हो जाने की घटना पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करती है. पाकिस्तान ने भले ही कहा है कि वो मिसाइल पर नजर बनाए हुए था लेकिन पाकिस्तान के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि जो मिसाइल उसके इलाके में गिरी, वो ब्रह्मोस मिसाइल थी या कुछ और.
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 13 मार्च को कहा था कि मियां चन्नू में भारतीय मिसाइल गिरने के बाद हम जवाब दे सकते थे लेकिन हमने संयम बरता. उन्होंने कहा कि हमें अपनी रक्षा प्रणाली और देश को मजबूत बनाना है.
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की वायु सेना समय पर कार्रवाई करने में विफल रही है. 1981 से 2006 तक, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान पर लगातार और नियमित जासूसी मिशनों का संचालन किया था लेकिन इस तरह के मिशनों को लेकर कभी खुलासा नहीं किया. इस दौरान उपयोग किया गया विमान रूसी मिग -25 का जासूसी वर्जन था. ये दुनिया के सबसे तेज लड़ाकू युद्धक विमानों में से एक था.
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना और वहां की सरकार कथित तौर पर भारत के मिग -25 की पाकिस्तान में गतिविधियों के बारे में जानती थी लेकिन उन्होंने चुप रहना चुना ताकि उनके लोगों को ये न लगे कि पाकिस्तान की वायु सेना जेट की सुपरसोनिक स्पीड के कारण उसे रोकने में असमर्थ थी.
मिग-25 ने 65 हजार से 85 हजार फीट की ऊंचाई पर 2.8 मैक यानी लगभग 3 हजार पांच सौ किमी प्रति घंटे की गति से उड़ान भरी, जबकि पाकिस्तानी एफ-16 विमान पचास हजार फीट से ऊपर नहीं जा सके.
मई 1997 में, पाकिस्तान के लोगों को इस बारे में तब पता चला जब इस्लामाबाद के ऊपर एक सोनिक बूम (बम फटने जैसी तेज आवाज) सुनाई दी. भारत के एक आईएएफ मिग- 25 आर ने एक जासूसी मिशन के तहत पाकिस्तानी क्षेत्र में उड़ान भरी और महत्वपूर्ण रक्षा स्थानों की तस्वीरें खींचीं. इस दौरान उसका ध्वनि अवरोध टूट गया जिससे इस्लामाबाद के ऊपर एक सोनिक बूम पैदा हुआ.
इससे वहां के लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया. भारत के फाइटर जेट को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान की वायु सेना ने अमेरिका में निर्मित एफ-16 लड़ाकू जेट विमानों का इस्तेमाल किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
इस्लामाबाद पर मिग-25 सोनिक बूम का उल्लेख उस वक्त इस्लामाबाद में मौजूद भारत के वरिष्ठ पत्रकार अमित बरुआ ने अपनी किताब 'डेटलाइन इस्लामाबाद' में किया. बरुआ किताब में लिखते हैं, '27 मई 1997 को लगातार विस्फोटों की आवाज सुनते ही मैं घर से बाहर निकल आया.' बरुआ के मुताबिक, पाकिस्तानी वायुसेना ने जेट को भारतीय वायुसेना का मिग-25 बताया था.
उन्होंने किताब में लिखा है, 'मुझे बताया गया था कि पाकिस्तानी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वो विमान 60 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था. पाकिस्तान की वायु सेना के पास ऐसा कोई विमान नहीं था जो उतनी ऊंचाई पर जा सके जितनी ऊंचाई पर भारतीय विमान था.'
भारत का जासूसी विमान पाकिस्तान के रडार नेटवर्क की पकड़ में भी नहीं था क्योंकि वो पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के किनारे के पास उड़ रहा था. लेकिन उसके सोनिक बूम से पाकिस्तान में हंगामा मच गया और उसे खदेड़ने के लिए F-16As विमान भेजा गया.
पाकिस्तान द्वारा F-16As विमान भेजे जाने पर भारत ने विरोध जताया था लेकिन उस समय पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे गोहरअयूब खान ने दावा किया कि भारतीय विमान ने इस्लामाबाद के पास महत्वपूर्ण जगहों की तस्वीरें खींची थीं. पाकिस्तान ने विमान के द्वारा अपने ध्वनि अवरोध को तोड़ने को एक जानबूझ कर उठाया गया कदम माना जिसका उद्देश्य यह दिखाना था कि पाकिस्तान की वायु सेना के पास मिग -25 जैसा कोई विमान नहीं है.
अजेय था मिग-25
मिग-25 अपनी क्षमता के कारण अजेय था और ये किसी की पकड़ में भी नहीं आ सकता था. 1981 से 2006 तक, पाकिस्तान और तिब्बत के आसमान में इसने कई मिशन को अंजाम दिया. जेट ने हर महीने औसतन 15 से 20 उड़ानें भरीं.
भारतीय वायु सेना ने 2006 में रखरखाव की बढ़ती लागत और नए तकनीक के फाइटर जेट के आ जाने के कारण मिग -25 को हटा दिया.
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