गुजरात। गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly election 2022) में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के साथ तीसरी मजबूत पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) इस बार मजबूती से चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं. 2021 में हुए गुजरात नगर निकाय चुनाव में सूरत नगर निगम में 27 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती. जिसके बाद आप की जीत के चर्चे चारों ओर होने लगी. आम आदमी पार्टी को भरोसा है कि उसे दिल्ली की तरह ही गुजरातियों को भी मुफ्त उपहार और लोक लुभावने वादों के जरिए सत्ता के नजदीक पहुंच सकती है. हालांकि गुजरात के मतदाता अभी तक दो दलों के ही साथ रहे हैं. अभी तक 1995 से गुजरात के मतदाताओं ने बीजेपी का पूरा साथ दिया है .जबकि उससे पहले कांग्रेस ने गुजरात पर लंबे समय तक राज किया . गुजरात में कोई भी छोटा दल या क्षेत्रीय दल अपनी जगह नहीं बना पाया है.
गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी सक्रिय हो चुकी है .जिस तरीके से कांग्रेश को पंजाब की सत्ता से बेदखल करके बड़े बहुमत से दिल्ली के बाद पंजाब की सत्ता पर आम आदमी पार्टी काबिज हो चुकी है. अब आम आदमी पार्टी का अगला मुकाम गुजरात और हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर काबिज होना है. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पाटीदार समुदाय का समर्थन किया था. पाटीदार समुदाय के नेता के रूप में ईटालिया को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. गुजरात में आप पाटीदार और मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा बीजेपी से असंतुष्ट होने वाले पाटीदार समुदाय साधने की कोशिश में आम आदमी पार्टी की जुटी हुई है. 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस 25 साल की बीजेपी के सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने की कोशिश में है. वही आम आदमी पार्टी प्रदेश की राजनीति ने मजबूत पकड़ बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी है.
गुजरात को दो दल वाला राज्य कहा जाता है. इस राज्य में लंबे समय से बीजेपी और कांग्रेस ही सत्ता पर बने रहे हैं. 1995 में केशुभाई पटेल ने राज्य में पहली बार बीजेपी की सरकार बनाई .जबकि इससे पहले जनता पार्टी के बाबू भाई पटेल ने 1975 में 1 साल तक मुख्यमंत्री बने रहे. इसके अलावा 1996 में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी छोड़कर एक नई दल का निर्माण किया. कांग्रेस के समर्थन से वह दूसरे गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. लेकिन वर्तमान में गुजरात दो दलों वाले राज्य के कारण ही जाना जाता है. 1998 के बाद गुजरात में केवल बीजेपी का ही मुख्यमंत्री रहा है.