-ललित गर्ग - 2024 के आम चुनावों का रण सज चुका है, कुछ ही हफ्ते बचे हैं और भारतीय जनता पार्टी एवं सभी विपक्षी दलों ने भी कमर कस ली है। भाजपा एवं इंडिया गठबंधन दोनों ही खेमों में अब हर दिन चुनावी रणनीति को लेकर बैठकों, मुलाकातों एवं चुनावी गणित को फीट करने का …
-ललित गर्ग -
2024 के आम चुनावों का रण सज चुका है, कुछ ही हफ्ते बचे हैं और भारतीय जनता पार्टी एवं सभी विपक्षी दलों ने भी कमर कस ली है। भाजपा एवं इंडिया गठबंधन दोनों ही खेमों में अब हर दिन चुनावी रणनीति को लेकर बैठकों, मुलाकातों एवं चुनावी गणित को फीट करने का दौर चल रहा है, एक तरफ भाजपा 2 हफ्ते बाद उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने की तैयारी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन मकर संक्रांति के बाद सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल करने वाला है, लेकिन भाजपा ने स्वयं 370 एवं उसके गठबंधन का 400 का लक्ष्य लेकर ही चल रही है। हाल ही में एक मीडिया हाउस के सर्वे के अनुसार भाजपा को भले ही 2019 की तुलना में केवल एक सीट का फायदा हो रहा है, भले नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है लेकिन उनके गठबंधन को करीब 17 सीटों का नुकसान होता हुआ दिखाई दे रहा है। हो सकता है अन्य माध्यमों से भी ऐसी ही सूचनाएं भाजपा को मिल रही हो, इसलिये उसने 400 के लक्ष्य को हासिल करने का ठाना है। भाजपा एवं मोदी की चुनावी रणनीतियों एवं विश्वास से ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर धमाकेदार जीत दर्ज कर अपनी हैट्रिक पूरी करेगी। इस जीत के बाद भारत में बड़े बदलाव एवं क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। राजनीति, प्रशासनिक, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आमूल-चूल परिवर्तन हो तो कोई आश्चर्य नहीं है।
नरेन्द्र मोदी, उनके राजनीतिक सलाहकार एवं भाजपा सम्भवतः इस मोड पर पहुंच गए हैं कि चुनाव जीतने के लिए उन्हें जितने तरह का रणनीतिक प्रबंधन करने जरूरी थे, वे सफलतापूर्वक किये जा चुके हैं या जल्द ही कामयाबी से कर लिये जाऐंगे। जितनी कमजोर कड़ियां थीं, उनकी मरम्मत कर ली गई है। जिन राज्यों में खराब दृश्य दिख रहे हैं, वहां भाजपा पूरी ताकत से लगी है। भाजपा ने 164 ऐसी सीटों की दो कैटेगरी तैयार कर ली है जहां 45 मंत्रियों को जी-जान से जुटने को कहा गया है, भाजपा कमजोर सीटों पर सबसे ज्यादा जोर लगा रही है क्योंकि 2019 के चुनाव में भाजपा की 48 ऐसी सीटें थीं जहां जीत का अंतर 2 प्रतिशत से भी कम था, इन सीटों पर विपक्षी गठबंधन अगर एक उम्मीदवार उतार देता है तो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है। ऐसी ही खतरे वाली सीटों के लिये भाजपा की तीक्ष्ण एवं प्रभावी रणनीतियां बन रही है। ऐसी ही रणनीतियां से समूचे राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्यों को बदलने एवं अपने पक्ष में करने के लिये भाजपा जुटी है। इसके लिये प्रभावी एवं दूरगामी राजनीतिक से जुड़े बड़े फैसले लिये जा रहे हैं। नीतीश कुमार और जयंत चौधरी जैसे नेताओं को इंडिया गठबंधन से छीन लिया गया है। कांग्रेस के अशोक चव्हान को भाजपा में शामिल करके राज्यसभा में भेजा जा रहा है। मायावती और चंद्रबाबू नायडू को विपक्ष में जाने से रोक दिया गया है। शिवसेना और राकांपा की दो फाड कर दी गयी है। श्रीराम मन्दिर उद्घाटन से हिन्दू वोटों को प्रभावित किया गया है, वही पांच राजनीतिक रत्नों को ‘भारत रत्न’ सर्वोच्च पुरस्कार की घोषणा से आम चुनावों को प्रभावित करने का राजनीतिक कौशल दिखाया गया है।
जब इतना बढ़िया, कौशलपूर्ण और प्रभावी राजनीतिक प्रबंधन हो चुका हो तो चार सौ का लक्ष्य हासिल करना भाजपा के लिये असंभव प्रतीत नहीं होता। वैसे प्रधानमंत्री के रूप में देश की जनता नरेन्द्र मोदी को ही सर्वाधिक पसन्द कर रही है, एक अनुशासित एवं राष्ट्रीय मूल्यों से प्रेरित पार्टी के रूप में भाजपा कायम है। मोदी का राजनीतिक कौशल ही है कि आम तौर से सरकारें चुनाव से पहले अपना खजाना खोलती हैं, लेकिन मोदी बिना खजाना खोले एवं लोकलुभावना घोषणाओं के चुनावी वैतरणी को सफलतापूर्वक पार करने की रणनीति बना रही है। मोदी जानते हैं कि लोकलुभावन योजनाएं या लाभार्थियों का संसार अपने आप वोटों में नहीं बदलता। उसके तीन स्तरों पर काम करना होता है। राज्यों के स्तर पर जहां अपनी स्थिति लगातार मजबूत करना जरूरी होता है, नेताओं के स्तर पर जो विभिन्न समुदायों की नुमाइंदगी करते हैं और समुदायों के स्तर पर जिन्हें लगातार पार्टी के साथ जोड़ने का अभियान चलाना पड़ता है। एक और स्तर इस बार के चुनावी गणित को प्रभावित करती हुई प्रतीत हो रही है, वह है मोदी का राजनीतिक कौशल एवं देश-विकास का उनका संकल्प। निश्चित ही मोदी भारतीय राजनीति में विश्वास और विकास के नायक हैं तो वैश्विक पटल पर महानायक बनकर देश और दुनिया को दिशा दिखा रहे हैं। कतर की जेल में बंद आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई और उनमें से सात का स्वदेश आ जाना एक ऐसी शुभ सूचना है, जिससे पूरे देश ने चैन की सांस ली है। इन भारतीयों की सकुशल रिहाई भारत की एक शानदार कूटनीतिक जीत है। यदि इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया जा रहा है तो स्वाभाविक ही है, क्योंकि उन्होंने कुछ समय पहले दुबई में कतर के शासक से मुलाकात की थी। मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है। यही कारण है कि उनकी छत्रछाया में भारत में राष्ट्रवाद का रंग गहरा हुआ है और भारत विश्वगुरु बनने की राह पर चल पड़ा है।
आगामी लोकसभा चुनाव विशेष होंगे। इन चुनावों में विपक्षी दल कुछ अनूठा एवं विशेष कर पायेंगे, ऐसी संभावनाएं हर दिन कमजोर ही होती जा रही है। राहुल गांधी की यात्रा भी कोई प्रभाव स्थापित नहीं कर पा रही है, बल्कि कांग्रेस एवं इंडिया गठबंधन से विभिन्न दल दूरी बना रहे हैं। यह चुनाव पहले ही उनकी असफलता की घोषणा है। इधर मोदी के प्रति लोगों का आकर्षण कायम है। इसका बड़ा कारण मोदी की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय छवि कायम रहना है। मोदी ने अनेक चमत्कार घटित किये हैं, जिसका अहसास देश की जनता को है। यूक्रेन युद्ध के समय वहां फंसे भारतीयों को वापस लाना हो या कोरोना के दौरान दुनिया भर में टीका भेजना, ये सभी नरेंद्र मोदी की वैश्विक सोच का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी के इस विश्वास एवं दृढ़ता की अनेक वजहें है। एक बड़ी वजह हाल ही में साल 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज करना भी है। विशेषकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का परिणाम तो कल्पना से भी बाहर था।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक एवं चमत्कारी जीत की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि प्रधानमंत्री के कार्यकाल की अनेक सुखद एवं उपलब्धिभरी प्रतिध्वनियां हैं, जिनमें चांद एवं सूर्य पर विजय पताका फहरा देने के बाद धरती को स्वर्ग बनाने की मुहीम चल रही है, राष्ट्रीय जीवन में विकास की नयी गाथाएं लिखते हुए भारत को दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनाने की ओर अग्रसर किया जा रहा है। भारत में जी-20 देशों महासम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न होना भी एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस जिम्मेदारी को संभालने का अर्थ था भारत को सशक्त करने के साथ-साथ दुनिया को एक नया चिन्तन, नया आर्थिक धरातल, शांति एवं सह-जीवन की संभावनाओं को बल देना। भाजपा इसलिए भी आशान्वित है, क्योंकि जिस विपक्षी एकता की बात 2023 के मध्य से चल रही थी, उसमें दरारे पड़ती ही जा रही है। तमाम विपक्षी पार्टियां अपने-अपने ढंग से चुनाव लड़ने को तैयार हैं और कांग्रेस से उनकी खींचतान चल रही है। फिर, जहां-जहां भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं, वहां पार्टी ने अपने अनवरत प्रयासों से खुद को मजबूत बना लिया है। दूसरी ओर कांग्रेस एवं विपक्षी दलों के पास भाजपा एवं मोदी विरोध का कोई सशक्त धरातल एवं मुद्दें नहीं है। कांग्रेस का हर दिन कई विरोधाभासों के बीच बीत रहा है। कांग्रेस की उल्टी गिनतियां चल रही हैं। उसकी उल्टी गिनती तो लम्बी चलेगी। पर जनता के दिमाग में एक बात गहरे तक बैठी हुई है कि मोदी के नेतृत्व में सब कुछ बदल जाएगा, भारत सशक्त हो जायेगा, सब कुछ अच्छा हो जाएगा एवं सब कुछ श्रेष्ठ हो जाएगा। जनता की यही सोच आम चुनाव की तस्वीर को स्पष्ट करते हुए भाजपा को ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर कर रही है।