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ब्रिज हादसे का नया VIDEO सामने आया, दिखा ऐसा मंजर

jantaserishta.com
2 Nov 2022 2:51 AM GMT
ब्रिज हादसे का नया VIDEO सामने आया, दिखा ऐसा मंजर
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | फोटो: ANI 

अब तक 135 लोगों की मौत हो गई.
मोरबी: गुजरात के मोरबी में ब्रिज हादसे में अब तक 135 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में एक एक कर कई बड़े खुलासे हो रहे हैं, जिनमें मैनेजमेंट कंपनी और प्रशासन द्वारा लापरवाही बरतने की बात सामने आ रही है. इसी बीच .मोरबी में हादसे के तुरंत बाद का एक और वीडियो सामने आया है. इसमें देखा जा सकता है कि लोग किस तरह से रस्सियों पर लटककर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं. हर तरफ सिर्फ चीख पुकार मची है.
वीडियो में हादसे के बाद के मंजर को देखा जा सकता है. वीडियो में दिख रहा है कि कोई टूटे हुए पुल पर लटक रहा है, तो रस्सी पर लटका है. तो कोई पानी में हाथ पैर मार रहा था. कोई बचे हुए पुल के हिस्से तक पहुंचने की कोशिश में तड़प रहा था. हर तरफ सिर्फ चीख पुकार मची है. पूरे देश को झकझोर देने वाला ये हादसा कई परिवारों को जीवन भर का दुख दे गया.
हादसा रविवार को हुआ. गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना केबिल ब्रिज भीड़ से खचाखच भरा था. आलम यह था कि 100 लोगों की क्षमता वाले इस पुल पर 300-400 लोग थे. कुछ लोग सेल्फियां लेने में व्यस्त थे, तो कुछ युवा इस झूलते ब्रिज को जानबूझकर हिला रहे थे. तभी अचानक पुल टूट गया. देखते ही देखते 300-400 लोग नदी में गिर गए. इस हादसे में अब तक 135 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में पुलिस ने ब्रिज की मैनेजमेंट कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है. अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को घटनास्थल का मुआयना किया. उन्होंने सिविल अस्पताल जाकर पीड़ितों से भी मुलाकत की. पीएम ने उन अधिकारियों से भी बातचीत की जो रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल थे. घायलों का हालचाल जानने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम बड़े अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल बैठक भी की. वो बैठक भी इस मोरबी हादसे को लेकर की गई. उस मीटिंग में उनकी तरफ से अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले की एक विस्तृत जांच होनी चाहिए. समझने का प्रयास होना चाहिए कि ये हादसा कैसे हुआ.
केबल ब्रिज 140 साल से ज्यादा पुराना था. यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था. राजा-महाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल कि तरह झूलता हुआ सा नजर आता था, इसलिए इसे झूलता पुल भी कहते थे. इसे गुजराती नव वर्ष पर महज 5 दिन पहले ही रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था. यह पुल 7 महीने से बंद था.
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