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शादी के लिए नया नियम आया, जानकर सन्न रह जाएंगे

jantaserishta.com
16 Jun 2022 4:19 AM GMT
शादी के लिए नया नियम आया, जानकर सन्न रह जाएंगे
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न्यूज़ क्रेडिट: टीवी 9 

समाज के लोगों ने कहा कि शादी के दौरान हमें फैशन से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इस तरह शादी करना समाज को स्वीकार्य नहीं होगा.

नई दिल्ली: राजस्थान के पाली (pali) जिले में कुमावत समाज के पंचों ने शादी के लिए हैरान कर देने वाले नियम जारी किए हैं जिसमें दूल्हे की दाढ़ी को लेकर दिए गए फरमान ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया. जिले के 19 गांवों के प्रतिनिधियों ने एक सभा में नए नियमों का एक प्रस्ताव पारित किया जिसके मुताबिक गांव में किसी भी परिवार में शादी (marriage rituals) में दूल्हे को क्लीन शेव करवाना अनिवार्य होगा. प्रस्ताव के मुताबिक अगर दूल्हा दाढ़ी बढ़ाकर शादी में बैठता है तो वह फेरे नहीं ले सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक यह फैसला कुमावत समाज (kumawat community) की पाली में पुराना बस स्टैंड स्थित मारू कुम्हारों की बगीची में हुई एक बैठक में पारित किया गया. बैठक में समाज के लोगों का साफ तौर पर कहना था कि शादी एक संस्कार है और दूल्हे को इसमें राजा के रूप में देखा जाता है, ऐसे में दूल्हा शादी में कई तरह से दाढ़ी बढ़ाकर रस्में निभाते हैं, जो अशोभनीय है.

समाज के लोगों ने कहा कि शादी के दौरान हमें फैशन से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इस तरह शादी करना समाज को स्वीकार्य नहीं होगा. बैठक में सभी गांवों के प्रतिनिधियों ने तालियों की गूंज के साथ प्रस्ताव पारित किया.
समाज की बैठक में शादी को लेकर अन्य कई नियमों पर प्रस्ताव जारी किए गए. बैठक में पारित प्रस्ताव के मुताबिक अब शादी में डीजे लाकर घर पर तो बजा सकते हैं लेकिन दूल्हे की बिंदौली डीजे के साथ नहीं निकाली जा सकती है. इसके अलावा सगाई और अन्य रस्मों में दुल्हन के कपड़ों के साथ अधिकतम 2 तोला सोना, चांदी के 2 जाोड़ी छड़ा व चांदी का कंदोरा दिया जा सकता है. वहीं मायरे को लेकर समाज का कहना है कि इसमें अधिकतम 5 तोला सोना, आधा किलाो चांदी और 51 हजार रुपए नकद दिए जा सकते हैं.
वहीं बैठक में विवाह और किसी की मौत पर होने वाले मृत्युभोज आदि मौके पर समाज की सभा में अफीम और तिजारा परोसने पर भी रोक लगाई गई है. बता दें कि पश्चिमी राजस्थान में शादी समारोह या किसी स्नेह मिलन के मौके पर अफीम परोसने का रिवाज है. इसके अलावा शादी से पहले होने वाली हल्दी की रस्म में पीले कपड़े, पीले फूल, पीले शृंगार आदि के नाम पर हो रही फिजूलखर्ची को रोकने के लिए भी कई नियम बनाए हैं.
समाज का कहना है कि सभी रस्में पुरानी परंपरानुसार ही निभाएं. गौरतलब है कि बैठक में सख्त निर्देशों के साथ पाबंद किया गया है कि बैठक में शामिल होने वाले 19 गांवों के लोगों को भले ही वह देश के किसी भी कोने में रहें, इन नियमों की पालना करनी होगी.

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