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एक जीवन नीले रंग के खून पर करता है निर्भर, जिससे बनती है वैक्सीन और लाखों लोगों की जान बचती है

Admin4
25 Aug 2021 2:25 PM GMT
एक जीवन नीले रंग के खून पर करता है निर्भर, जिससे बनती है वैक्सीन और लाखों लोगों की जान बचती है
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कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में भी इन्होंने अहम योगदान दिया है. इस जीव का खून नीले रंग का होता है. इनमें वो जरूरी इम्यून सेल होते हैं, जो घातक बैक्टीरिया के खिलाफ अति संवेदनशील माने जाते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Horseshoe Crab Blue Blood: आज के वक्त में जिन दवाओं पर इंसान काफी ज्यादा निर्भर है, उन्हें बनाने में सबसे बड़ा योगदान प्रकृति का है. और जब बात वैक्सीन की आए, तो इसे हॉर्स शू केंकड़े और उसके नीले खून से ही बना पाना संभव है. ये केंकड़े डायनासॉर से भी ज्यादा पुराने हैं और पृथ्वी पर 45 करोड़ साल से रह रहे हैं. जिससे पता चलता है कि इन्होंने लाखों प्रजातियों को पैदा होते और खत्म होते देखा है (Horseshoe Crab Blood Uses). इन केकड़ों को मई-जून में पूर्णिमा के आसपास हाई टाइड के दौरान देखा जाता है. इन्हीं की वजह से आज दुनियाभर में लाखों लोगों को बीमारियों से बचाया जा सका है.

कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में भी इन्होंने अहम योगदान दिया है. इस जीव का खून नीले रंग का होता है. इनमें वो जरूरी इम्यून सेल होते हैं, जो घातक बैक्टीरिया के खिलाफ अति संवेदनशील माने जाते हैं. जब ये इन्वेडिंग बैक्टीरिया से मिलते हैं, तो उसके आसपास एक क्लॉट का निर्माण करते हैं (Horseshoe Crab Blood Benefits). नीले खून में एक खास रसायन होता है, जो बैक्टीरिया के आसपास जमा होकर उसे कैद कर देता है. और बैक्टीरिया की पहचान कर लेता है. वैज्ञानिक इस जीव के सुर्ख नीले खून के इस्तेमाल से मेडिकल उपकरणों और दवाओं के जीवाणु रहित होने की जांच करते हैं.
नई वैक्सीन की जांच के काम आता है खून
आसान शब्दों में कहें तो खून का इस्तेमाल इंसान के शरीर में जाने वाली किसी भी चीज को बनाने के दौरान उसके प्रदूषक होने का पता लगाने के लिए किया जाता है. इस सामान में टीकाकरण के लिए इस्तेमाल होने वाले मेडिकल डिवाइस तक शामिल हैं. यह नई वैक्सीन की जांच करने के काम भी आता है. ये बात इंसानों के लिए बहुत अच्छी है क्योंकि उन्हें घातक बीमारियों से बचने में मदद मिलती है (Crab blue blood). लेकिन इसके बदले में हजारों केंकड़े अपनी जान गंवाते हैं और अपना खून देकर लोगों की रक्षा करते हैं.
हर साल पकड़े जाते हैं करोड़ों केंकड़े
हर साल करीब पांच करोड़ केकड़ों को जैव चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए पकड़ा जाता है. इनका खून दुनिया का सबसे महंगा तरल पदार्थ माना जाता है. आपके जहन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि जीव के खून का रंग लाल होने के बजाय नीला क्यों होता है? इसके पीछे का कारण ये है कि इसके खून में तांबे की मौजूदगी होती है. जबकि इंसानी खून में लोहे के अणु होते हैं (Blue Blood For Vaccines). खून के लिए पहले केकड़ों के कवच में दिल के पास छेद करते हैं और फिर 30 फीसदी खून संरक्षित कर लिया जाता है. जिससे वो वापस पहले वाली अवस्था में लौट आते हैं. लेकिन कुछ अध्ययनों में पता चला है कि इस प्रक्रिया के दौरान 10 से 30 फीसदी केकड़ों की मौत हो जाती है.


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