x
एक किसान ने अपने 12 एकड़ के फार्म हाउस में म्यूजिक सिस्टम लगाया हुआ है
मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक किसान ने अपने 12 एकड़ के फार्म हाउस में म्यूजिक सिस्टम लगाया हुआ है जो फसलों, पेड़-पौधों, गायों और जीव-जंतुओं को संगीत सुना रहा है. इससे फसलों में ज्यादा पैदावार हो रही है और जैविक खाद जल्द तैयार हो रही है. इतना ही नहीं इस वजह से गाय भी ज्यादा दूध दे रही हैं.
दरअसल, सागर स्थित तिली के रहने वाले किसान आकाश चौरसिया कपूरिया गांव में जैविक खेती कर रहे हैं. जो पेड़ पौधों और जीव-जंतुओं को म्यूजिक थेरेपी दे रहे हैं. आकाश बताते हैं कि जैसे इंसान तनाव में होता है वैसे ही पेड़ पौधे और जीव जंतुओं में तनाव होता है. तनाव को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रकार के साउंड उनको देते हैं. जैसे गायत्री मंत्र, भंवरे की गुनगुनाहट का साउंड अलग-अलग समय पर देते हैं.
जब बीज उपचार करते हैं तो गायत्री मंत्र सुनाते हैं, जब फसल की बुवाई करते हैं और वह युवावस्था में आ जाता है तो भंवरे की गुनगुनाहट सुनाते हैं, जब उसमें फल लगने लगते हैं तो गायत्री मंत्र की थेरेपी देते हैं. इससे फसलों में 20 से 30 परसेंट की ज्यादा पैदावार होती है. जैविक खाद बनाने में जो केंचुए 90 दिन का समय लेते हैं उनको अगर रात में म्यूजिक थेरेपी देते हैं तो वह उतना ही खाद 60 दिन में पूरी कर देते हैं.
ऐसे ही जब गाय गर्भावस्था में होती है और दूध लगने का जब समय आता है तब तक उसको गायत्री मंत्र की थेरेपी देते हैं इससे देसी गाय भी एक से डेढ़ लीटर ज्यादा दूध देने लगती है. फसलों, जीव-जंतुओं और गायों में म्यूजिक थेरेपी से हुए इंप्रूवमेंट को लेकर जब सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व वनस्पति शास्त्री डॉक्टर अजय शंकर मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 120 साल की रिसर्च में यह सामने आया है कि पौधे बहुत सेंसिटिव होते हैं और वह संगीत महसूस करते हैं.
उन्होंने बताया कि क्लासिकल म्यूजिक सुनाने पर पौधों में इंप्रूवमेंट होता है और जो आकाश चौरसिया ने किया है उसमे कहीं कोई गलती नहीं है, यह सिद्धांत पहले से प्रतिपादित है. 1902 में वैज्ञानिक जे सी बसु ने रिसर्च में ये पाया था जिसके पेपर 1902 और 1904 में छपे थे. जैविक खेती में म्यूजिक थेरेपी से हुए लाभ के बाद आकाश के पास देश के अलग-अलग राज्यों से किसान ट्रेनिंग लेने भी पहुंचते हैं जिन्हें वह म्यूजिक थेरेपी के गुण सिखा रहे हैं.
Next Story