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चुनावी मैदान में 94 साल की कामाक्षी, इस कारण है चर्चा में...

jantaserishta.com
7 Feb 2022 3:12 AM GMT
चुनावी मैदान में 94 साल की कामाक्षी, इस कारण है चर्चा में...
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नई दिल्ली: चांदी जैसे बालों का बन और हमेशा एक सूती साड़ी पहने कामाक्षी सुब्रमण्यन (Kamakshi Subramaniyan) चेन्नई (Chennai) की सड़कों पर अकसर दिख जाती हैं. वो लंबे समय से स्थानीय स्तर पर होने वाले सरकार के कामों की जानकारी रखती आई हैं. वो हमेशा कामों की गुणवत्ता और उसके सही समय से पूरा होने के लिए सक्रीय रहती आई हैं. हालांकि, इस बार उनके चर्चा में आने की वजह कुछ और है. दरअसल, 94 वर्षीय कामाक्षी इस बार चुनावी मैदान में हैं.

कामाक्षी चुनाव लड़ने की इस घड़ी का लंबे समय से इंतजार कर रही थीं. लेकिन तमिलनाडु में कई वर्षों से नगरीय निकाय चुनाव नहीं हुए इसलिए उन्हें इंतजार करना पड़ा. साथ ही उन्हें विधायकी या सांसद चुनाव में कभी दिलचस्पी नहीं रही इसलिए भी वो इन चुनावों का हिस्सा नहीं बनीं. हालांकि, अब कामाक्षी सुब्रमण्यन तमिलनाडु के नगरीय निकाय के चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं.
उन्होंने बसंत नगर, वार्ड क्रमांक 174 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है. उन्होंने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने जीवन के 30 वर्ष दिल्ली में बिताए. क्योंकि उनके पति दिल्ली में उपसचिव के पद पर कार्यरत थे. यही वो समय था जब उन्हें लंबे समय तक राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिला.
वो बताती हैं कि राष्ट्रपति भवन में वो अपने पति के काम करने की जगह से जुड़ी कहानियां खूब सुनती थीं और उन्हें इससे खुशी मिलती थी. उन्होंने कहा, दिल्ली में बिताए 30 वर्षों में उन्हें इस बात बेहतर समझ हो गई थी कि नौकरशाही का काम करने का तरीका क्या होता है. क्या नौकरशाही जानकर गलतियां करती है या उससे अनजाने में गलतियां हो जाती हैं.
सड़क निर्माण पर रखी नजर तो 12 साल बाद भी नहीं टूटी
दिल्ली में बिताए समय से मिली सीख का इस्तेमाल उन्होंने समाज सेवा में किया. लोगों की मदद के लिए कामाक्षी सुब्रमण्यन ने 'स्पार्क' नाम की एक संस्था बनाई. इस संस्था का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर हो रहे कामों में निकाय को मदद पहुंचाना और उनके कामों की गुणवत्ता पर नजर रखना था. कामाक्षी खुद भी जमीनी तौर पर काफी सक्रीय रहती हैं. वो समय-समय पर निकाय के कामों की जांच करती हैं.
वो एक वाकये का जिक्र करते हुए बताती हैं कि उनके इलाके में सड़क निर्माण का काम चल रहा था और वो रोज उस काम की निगरानी करती थीं. इसमें सड़क बनाने में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों को उन्होंने बारीकी से परखा और जांचा. साथ ही सड़क निर्माण के तकनीक को भी देखा. उनकी निगरानी का नतीजा यह रहा कि 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी वो सड़क वैसी की वैसी है. उस पर कभी भी कहीं भी पानी जमा नहीं होता. वो एक दम नई जैसी नजर आती है.

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