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निर्भया कांड के 9 साल: सिहर उठा था देश, हालत देख कांप उठी थी डॉक्टरों की रूह, महिलाओं की सुरक्षा पर सामने आया ये सर्वे

jantaserishta.com
16 Dec 2021 5:36 AM GMT
निर्भया कांड के 9 साल: सिहर उठा था देश, हालत देख कांप उठी थी डॉक्टरों की रूह, महिलाओं की सुरक्षा पर सामने आया ये सर्वे
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नई दिल्ली: साल 2012 के निर्भया रेप केस को याद करें तो आज भी हर किसी की रूह कांप उठती है. इस रेप को जिस हैवानियत के साथ अंजाम दिया गया वह बेहद भयानक और नृशंस था. इस घटना को 9 साल गुजर चुके हैं लेकिन आज भी न जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं रोजाना ऐसी दरिंदगी का शिकार होती हैं. कई निर्भया तो अपने ही घरों में बलात्कार का सामना करती हैं और सालों से कर रही हैं. निर्भया गैंगरेप के बाद लोगों को उम्मीद थी कि परिस्थितियां, सिस्टम और कानून व्यवस्था में कोई बड़ी बदलाव दिखेगा और महिलाएं सुरक्षित होंगी. लेकिन क्या सचमुच ऐसा कुछ भी हुआ. इसका जवाब शायद आज भी 'नहीं' है.

9 सालों में क्या बदला? क्या महिलाएं और बच्चियां सड़कों और घरों में सुरक्षित हैं? इसके लिए आज तक के सहयोगी क्राइम तक ने 'सेफ इंडिया' नाम से एक सर्वे कराया. ऑनलाइन हुए इस सर्वे में सबसे ज्यादा युवाओं ने हिस्सा लिया. इस सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं. दरअसल 12.2 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं कि देश में लड़कियां पूरी तरह से सुरक्षित हैं. वहीं 49.7 प्रतिश लोग मानते हैं कि देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. इसके अलावा 38.1 प्रतिशत लोग मानते हैं कि महिलाएं कुछ-कुछ हद तक सुरक्षित हैं.
गौरतलब है कि इस सर्वे में 15 से 28 साल के बीच की उम्र वाले 54.7 प्रतिशत युवा शामिल हुए. 29 से 41 साल के बीच के 34.5 प्रतिशत और 42 साल से ज्यादा उम्र वाले 10.9 प्रतिशत लोगों ने इसमें हिस्सा लिया. सर्वे में सबसे ज्यादा नौकरीपेशा या बिजनेस यानी कामकाजी 58 प्रतिशत शामिल हुए. वहीं, 33 प्रतिशत छात्र और 9 प्रतिशत घरेलू लोग शामिल हुए. इसमें 81 प्रतिशत पुरुष और 19 प्रतिशत लड़कियों ने हिस्सा लिया.
परिवार और करीबी लोगों से महिलाओं को ज्यादा खतरा?
इस सर्वे में एक चीज और साफ हो गई हैं कि लड़कियों और महिलाओं पर गंदी नजर रखने वाले सबसे अधिक लोग उनके करीबी, उनके परिवार के करीबी या घर के ही लोग होते हैं. सर्वे के अनुसार महिलाओं के प्रति बुरी नजर रखने वाले पहचानवाले और करीबी लोगों की संख्या करीब 67 प्रतिशत है. इनमें पहचानवाले 49 फीसदी हैं और घर के बेहद करीबी 18 फीसदी शामिल हैं.
हर जगह पुरुष का साथ जरूरी?
इस सर्वेक्षण के अनुसार 13 प्रतिशत लोगों ने ही माना ही लड़कियां कहीं भी अकेली सुरक्षित जा सकती हैं. वहीं 53.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि लड़कियां अकेले कहीं भी किसी भी जगह सुरक्षित नहीं जा सकती हैं. इसके अलावा आज भी 33 प्रतिशत से ज्यादा लोग मानते हैं कि लड़की को कहीं दूर भेजना है तो किसी पुरुष सदस्य का होना जरूरी है.
क्या पीड़िताओं के लिए संवेदनशील हुई पुलिस?
निर्भया केस के बाद हर पहलू पर बदलाव की उम्मीद की जा रही थी. इसमें से एक ये भी था कि पुलिस को सूचना देते ही पुलिस पीड़िता के प्रति कैसा व्यवहार करती है, उसको लेकर कितना गंभीर होती है। इस सवाल के जवाब में 56.8 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बहुत ही कम बदलाव आया है. जबकि 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कुछ-कुछ बदलाव आया है. इसके अलावा, सिर्फ 5.2 प्रतिशत लोगों ने माना कि निर्भया कांड के बाद पुलिस के व्यवहार में बहुत ज्यादा बदलाव आया है.
कितने लोग करते हैं पैनिक बटन और SOS का इस्तेमाल?
करीब 68 प्रतिशत लोगों ने माना कि या तो वे विषम परिस्थितियों में किसी पैनिक बटन या SOS का इस्तेमाल नहीं करते हैं या फिर वह उस बारे में जानते ही नहीं हैं. सिर्फ 32 प्रतिशत लोग ही मानते हैं कि वे इमरजेंसी पैनिक बटन का इस्तेमाल करना जानते हैं और इस बारे में जानते हैं.
रेप के लिए लड़कियों के कपड़े जिम्मेदार या कुछ और?
अकसर ही रेप के मामले आने पर कुछ लोग इसके लिए लड़कियों की आजादी और कपड़ों पर सवाल खड़े कर देते हैं. इसको लेकर सर्वे के नतीजे देखें तो लोग ऐसा नहीं सोचते हैं. दरअसल, सिर्फ 6 प्रतिशत लोग मानते हैं ऐसी घटनाओं के पीछे लड़कियों के कपड़े जिम्मेदार है. जबकि 46.7 प्रतिशत लोग मानते हैं कि ऐसी वारदातों के पीछे लोगों की घटिया सोच ही बड़ी वजह है. इसके अलावा 47.3 प्रतिशत लोग मानते हैं कि लंबी कानूनी प्रक्रिया की वजह से अपराधी निडर हैं.
इंटरनेट भी महिलाओं के शोषण का जरिया?
महिलाओं के शोषण को लेकर सोशल मीडिया और इंटरनेट भी एक बड़ा जरिया बन गया है. इससे जुड़े सवाल पर 67.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हां ऑनलाइन लड़कियों को खासतौर पर ब्लैकमेल किया जा रहा है. 19.5 प्रतिशत लोग मानते हैं कि इंटरनेट पर लड़कियों को बहुत ज्यादा परेशान और इमोशनल ब्लैकमेल किया जा रहा है. वहीं, 13.3 प्रतिशत लोग मानते हैं कि लड़कियों को ऑनलाइन नहीं परेशान किया जा रहा है.
रेप की वारदातों में शराब और पोर्न कंटेंट की भूमिका?
रेप या छेड़छाड़ की घटनाओं के दौरान अक्सर ये बात सामने आती है कि अपराधी नशे में था. या फिर कई बार अश्लील फिल्म देखने के बाद उसने ऐसी हरकत करने की बात भी सामने आती है. ऐसे में सर्वे में ऐसे सवाल पूछे जाने पर सबसे ज्यादा 47 प्रतिशत लोगों ने माना कि इसके लिए पोर्न कंटेंट व अश्लील फिल्में जिम्मेदार हैं. 29 प्रतिशत लोगों ने माना है कि शराब भी दूसरी मुख्य वजह है. इसके अलावा 24 फीसदी लोग ये मानते हैं कि परिवार में लड़कों को खुली छूट देना भी एक वजह है.
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