नगरोटा डिपो की 80 बसें दिन-रात दे रही सेवाएं, लोकल रूट पर घाटा
नगरोटा बगवां। वर्ष 2014 में 50 बसों से स्थापित हिमाचल पथ परिवहन निगम का नगरोटा बगवां स्थित डिपो आज 88 बसों के साथ यात्री परिवहन व्यव्स्था में अपनी भूमिका निभा रहा है । मौजूदा समय मे 17 अंतरराज्यीय रूटों के साथ करीब 85 रूटों पर निगम की बसें रोजाना 17 हजार किलोमीटर का सफर तय कर …
नगरोटा बगवां। वर्ष 2014 में 50 बसों से स्थापित हिमाचल पथ परिवहन निगम का नगरोटा बगवां स्थित डिपो आज 88 बसों के साथ यात्री परिवहन व्यव्स्था में अपनी भूमिका निभा रहा है । मौजूदा समय मे 17 अंतरराज्यीय रूटों के साथ करीब 85 रूटों पर निगम की बसें रोजाना 17 हजार किलोमीटर का सफर तय कर रही है। डिपो में 121 परिचालक तथा 110 चालक दिन-रात अपनी सेवाओं से व्यवस्था को सुव्यवस्थित किए हुए है । डिपो की स्थापना के कई वर्ष बाद निगम को 61 मील में अपनी वर्कशॉप मिली, जहां करीब चार दर्जन दक्ष कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है । हालांकि लंबे रूटों पर निगम खासी कमाई कर रहा,लेकिन लोकल रूट आज भी प्रबंधन के लिए घाटे का सौदा बने हुए है।
यही वजह है कि डिपो को औसत 40 रुपए प्रति किलोमीटर के खर्चे पर कमाई केवल 37 रुपए तक ही सिमटी हुई है । दूसरे शब्दों में कहें तो डिपो के खजाने में रोजाना सात लाख का राजस्व आने से सालाना कमाई 24 करोड़ को छू रही है, लेकिन दूसरी ओर साढ़े तीन करोड़ का सालाना घाटा भी बदस्तूर बना हुआ है, जो प्रबंधन के लिए चिंता का सबब है। हालांकि गत माह त्योहारों के दौरान अतिरिक्त प्रयासों से डिपो ने सात लाख 65 हजार अतिरिक्त कमाए फिर भी नवंबर माह का घाटा 32 लाख दर्ज हुआ । नगरोटा डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र पठानिया ने बताया कि प्रबंधन वित्तीय घाटे को कम करने के लिए प्रयासरत है। लोकल रूट घाटे का बड़ा कारण है, जहां पर्याप्त सवारियां न होने पर भी रूट बहाल रखना निगम की मजबूरी है। दूसरी तरफ लोकल रूटों पर निजी बसों से प्रतिस्पर्धा तथा वीभिन्न श्रेणियों को सरकारी बसों में मिलने वाली रियायतें भी राजस्व के घाटे का बड़ा कारण माना जा रहा है। करीब पांच दर्जन लोकल रूट पर रोजाना 50 फीसदी रियायत पर सफर करने वाली महिलाओं के अतिरिक्त 3700 पास होल्डर निगम की बसों में सफर करते है, जिनमे दो हजार छात्र है ।