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आपदा की आहट? बनी 77 नई झीलें, रेड सिग्नल पर सरकार भी सचेत

jantaserishta.com
2 March 2023 3:51 AM GMT
आपदा की आहट? बनी 77 नई झीलें, रेड सिग्नल पर सरकार भी सचेत
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देहरादून (आईएएनएस)| प्रदेश में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कभी यहां पर दरारों की वजह से लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं तो कभी वैज्ञानिकों द्वारा यहां पर तीव्र भूकंप की चेतावनी दे दी जाती है। इन सबसे इतर उत्तराखंड में एक और नई मुसीबत है जिसने सरकार को और वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। उत्तराखंड में ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं।
जिन्होंने एक्सपर्ट की भी चिंता बढ़ा दी हैं और वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन ग्लेशियरों पर तेजी से नई झीलें बन रही हैं। अबतक कुल 77 झीलों का निर्माण हो चुका है। ताजा शोध के अनुसार ग्लेशियरों में 50 मीटर से अधिक ब्याज के कई ग्लेशियर जिले बन चुके हैं और इन चीजों से बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है। आपको यह भी बता दें कि चमोली की आपदा भी ग्लेशियर के पिघलने की वजह से ही आई थी।
यह ग्लेशियर क्यों पिघलते हैं, इसकी वजह भी जलवायु परिवर्तन ही है। तापमान अधिक होने की वजह से यह ग्लेशियर पिघल कर नदियों में तब्दील हो रहे हैं। जीआईएसए रिमोट सेंसिंग एवं सेटेलाइट के माध्यम से अध्ययन करने पर यह पता लगा है कि इनके आसपास कुल 77 झील मौजूद हैं, जिनका व्यास 50 मीटर से अधिक है।
36 और सबसे ज्यादा झीलें मिलम में, सात गोंखा, 25 रालम में, तीन झीलें ल्वां में हैं, और छह झीलें मतोर्ली ग्लेशियर में मौजूद है। नए झीलों के बनने की प्रक्रिया भी जारी है और ग्लेशियर के समीपवर्ती क्षेत्रों में लगातार बाढ़ की संभावनाएं बनी हुई हैं। आपदा प्रबंधन विभाग एवं प्रशासन भी यह मान चुका है कि यह झीलें भविष्य में आपदा का कारण भी बन सकती हैं।
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