भारत

600 इंजीनियरिंग संस्थान शुरू करेंगे सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी से जुड़े पाठ्यक्रम

jantaserishta.com
30 July 2023 8:39 AM GMT
600 इंजीनियरिंग संस्थान शुरू करेंगे सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी से जुड़े पाठ्यक्रम
x
नई दिल्ली: देश भर के 600 से अधिक इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान जल्द ही सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी पर विश्व स्तरीय पाठ्यक्रमों की पेशकश शुरू करेंगे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष टी.जी. सीताराम ने एक विशेष बातचीत के दौरान आईएएनएस को यह जानकारी दी।
एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर सर्वेक्षण करने और देश में समन्वित और एकीकृत तरीके से विकास को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की शीर्ष सलाहकार संस्था है। यह केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है और प्रौद्योगिकी की विशिष्ट श्रेणियों के तहत सभी पीजी और यूजी प्रोग्राम को मान्यता देने के लिए भी जिम्मेदार है।
एआईसीटीई प्रमुख ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान कहा, 2024 तक देश में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक थी, जिसे अब रद्द कर दिया गया है।
पेश हैं बातचीत के अंश।
आईएएनएस : वैश्विक मानक के अनुरूप वे कौन से नए पाठ्यक्रम हैं, जिन्हे इंजीनियरिंग कॉलेजों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शुरू किए जाने की तैयारी है।
टी.जी. सीताराम: हम सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों वाले नई पीढ़ी के पाठ्यक्रमों पर काम कर रहे हैं। जल्द ही सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए 16,000 से अधिक सीटें उपलब्ध होंगी। लगभग 600 तकनीकी संस्थान हैं, जो सेमीकंडक्टर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएंगे।
आईएएनएस: एआईसीटीई ने भारत में 2024 तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक लगा दी है, अब क्या स्थिति है?
टी.जी. सीताराम: हां, 2024 तक पूरे भारत में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर प्रतिबंध था लेकिन हमने अपने फैसले की समीक्षा की है और अब, हमने यह रोक हटा दी है। इसका मतलब है कि एआईसीटीई द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन कर देश में कहीं भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए जा सकते हैं। एआईसीटीई द्वारा रोक हटाए जाने के बाद हाल ही में 250 नए इंजीनियरिंग कॉलेज और तकनीकी संस्थान खोलने की अनुमति भी दी गई है।
आईएएनएस: हजारों छात्रों उच्च शिक्षण संस्थानों से ड्रॉप आउट हुए हैं, आत्महत्या की घटनाएं भी सामने आईं। क्या आपने छात्र-संबंधी इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई पहल की है?
टी.जी. सीतारम : हम एक 'मेंटर-मेंटी प्रोग्राम' लेकर आ रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत हर संस्थान में हर एक छात्र के लिए एक मेंटर होगा ताकि शिक्षा से परे भी बातचीत को बढ़ावा दिया जा सके। छात्रों के मुद्दों और तनाव से निपटने के लिए उनसे बातचीत हो, ये सलाहकार छात्रों से उनके व्यक्तिगत मुद्दों, पारिवारिक मुद्दों, संस्थान से संबंधित मुद्दों और व्यक्तिगत भलाई पर चर्चा करेंगे। हमारे पास इस पर एक नीति तैयार है और इसे परिषद की अगली बैठक में मंजूरी दी जाएगी।
आईएएनएस: कोर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की स्थिति क्या है। ऐसी खबरें आ रही थीं कि कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में कई सीटें खाली रह गई हैं।
टी.जी. सीताराम: छात्र कोर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। हमारा डेटा कहता है कि कोविड-19 महामारी के बाद कोर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले छात्रों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
आईएएनएस: क्या कोर इंजीनियरिंग छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी नए जमाने की प्रौद्योगिकियों के अनुकूल बनाने की कोई पहल है।
सीतारम: कोर इंजीनियरिंग के छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, रोबोटिक्स, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन, लॉजिस्टिक्स, नैनो टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और सभी उभरते क्षेत्रों में छोटे डिग्री पाठ्यक्रम करने की अनुमति है। यह न केवल हमारे छात्रों को नौकरी के लिए तैयार करेगा बल्कि उन्हें नौकरी निर्माता बनने के लिए भी सशक्त बनाएगा।
आईएएनएस: क्या कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कोर इंजीनियरिंग शिक्षक हैं?
टी.जी. सीताराम: कोर इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता एक बड़ा मुद्दा है। एआईसीटीई ने अल्पकालिक प्रमाणन कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की पहल की।
आईएएनएस: नवाचार को बढ़ावा देने और नए पेटेंट दाखिल करने की संख्या बढ़ाने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं।
टी.जी. सीतारम: हमने विचार, नवाचार आदि को बढ़ावा देने के लिए अपने क्षेत्रीय केंद्रों को बंद करने और उन्हें 12 'इंडोवेशन' केंद्रों (भारत के नवाचार) में बदलने का फैसला किया है। ये भारत में अपनी तरह के पहले केंद्र होंगे। उनका अधिदेश प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, नवाचार और विचारधारा को बढ़ावा देना है। हम पेटेंट फाइलिंग का भी समर्थन कर रहे हैं। हमारे प्रयासों के कारण, पेटेंट दाखिल करने का शुल्क 28,000 रुपये से घटकर 1,500 रुपये हो गया है। एआईसीटीई के प्रयासों से, हमारे पास लगभग 8,000 से अधिक पेटेंट हैं। अब, हम निशुल्क पेटेंट दाखिल करने की नीति पर काम कर रहे हैं।

Next Story