6 पुलिसकर्मी पर गिरी गाज, थाना प्रभारी लाइन हाजिर…2022 में किया था ये कारनामा
आगरा: आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में 500-500 ग्राम गांजे के साथ जून 2022 में दो युवक जेल भेजे गए थे। इस मामले की शिकायत पर छह पुलिस कर्मी निलंबित हुए थे। तत्कालीन थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया था। अब सातों पुलिस कर्मियों की गर्दन फंसी हुई है। प्रारंभिक जांच में सभी दोषी पाए गए थे। विभागीय जांच चल रही है। मुकदमा भी लंबित है। न तो चार्जशीट लगी है और न ही अंतिम रिपोर्ट लगाई गई है।
जून 2022 में जगदीशपुरा पुलिस ने रावत पेट्रोल पंप के पास से अमित कुमार और जितेंद्र सिंह को पकड़ा था। कुछ घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया। दोबारा पकड़ा गया। 500-500 ग्राम गांजे में जेल भेजा गया था। पेट्रोल पंप से पकड़ने के युवकों के पास सीसीटीवी फुटेज थे। शिकायत हुई थी। तत्कालीन एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने उस दौरान यह बताया था कि पुलिस ने गैंगस्टर सनी कबाड़ी से ठेका लेकर दोनों युवकों को गलत जेल भेजा था। इस मामले में एसआई ऋषि पाल सिंह, एसआई मनोज कुमार, एसआई अनुज प्रताप सिंह, आरक्षी राजीव कुमार, दीपक राणा और गौरव डागर को निलंबित किया था। कुछ दिन बाद तत्कालीन थाना प्रभारी जगदीशपुरा पीके सिंह को लाइन हाजिर किया गया था। उन पर आरोप था कि उनकी मौजूदगी में यह गड़बड़झाला कैसे हो गया।
तत्कालीन आईजी रेंज नचिकेता झा ने पूरे प्रकरण की जांच तत्कालीन एएसपी मथुरा संदीप मीणा से कराई थी। उन्होंने अपनी जांच में पुलिस कर्मियों को दोषी पाया था। पुलिस की कार्रवाई पर संदेह जताया था। प्रारंभिक जांच के बाद आरोपित पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश हुए थे। जो अभी लंबित है। मामले में फंसे सातों पुलिस कर्मी चाहते हैं कि जो मुकदमा दर्ज हुआ था उसमें चार्जशीट चली जाए। अंतिम रिपोर्ट लगी तो सवाल उठेगा कि गांजा कहां से आया। मुकदमे की विवेचना जगदीशपुरा थाने से ही चल रही है।
सवाल यह उठता है कि पुलिस ने दो युवकों को जेल भेजा। दोनों के पास से 500-500 ग्राम गांजा बरामद दिखाया। दोनों आरोपियों की कोर्ट से जमानत हुई। एक दिन बाद ही दोनों बाहर आ गए। इस मुकदमे की विवेचना आखिर डेढ़ साल से क्यों लंबित है। कई विवेचक बदल चुके हैं। आखिर विवेचक को किस मौके का इंतजार है। विवेचक किसी नतीजे पर क्यों नहीं पहुंच पा रहा है।