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6 लोगों ने तोड़ा दम, दूषित पानी पीने से फैला डायरिया?

jantaserishta.com
17 July 2022 6:42 AM GMT
6 लोगों ने तोड़ा दम, दूषित पानी पीने से फैला डायरिया?
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

उधर, घटना को लेकर विधानसभा में भी विरोध प्रदर्शन हुआ.

नई दिल्ली: ओडिशा के रायगड़ा जिले में दूषित पानी पीने से छह लोगों की मौत हो गई जबकि 71 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्रारंभिक जांच में डायरिया की आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि दूषित पानी पीने के बाद लोगों को दस्त और उल्टियां होने लगी. मामले में नवीन पटनायक की सरकार ने स्वास्थ्य अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. उधर, घटना को लेकर विधानसभा में भी विरोध प्रदर्शन हुआ. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस मुद्दे पर बयान की मांग की.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन दिनों में काशीपुर ब्लॉक के विभिन्न गांवों से मौतों की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि 11 डॉक्टरों की एक टीम ने प्रभावित गांवों का दौरा किया. इस दौरान पानी और बीमार मरीजों के खून के नमूने लेकर जांच के लिए भेजा गया है.
अधिकारियों ने कहा कि पानी से होने वाली बीमारी पहले मलीगुडा गांव में और इसक बाद में दुदुकाबहल, टिकीरी, गोबरीघाटी, रौतघाटी और जलाखुरा गांवों में फैल गई. उन्होंने बताया कि डांगसिल, रेंगा, हाडीगुडा, मैकांच, संकरदा और कुचिपदार गांवों में कई अन्य लोग भी दस्त से पीड़ित हैं और घर पर उनका इलाज चल रहा है.
खुले स्रोतों से पानी पीने के बाद अस्पताल में भर्ती 71 लोगों में से 46 का इलाज टिकिरी पब्लिक हेल्थ सेंटर (पीएचसी) में, 14 काशीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में और 11 लड़कियों का थातीबार पीएचसी के एक आश्रम स्कूल में इलाज चल रहा है. एक मरीज की हालत बिगड़ने पर कोरापुट के एसएलएन मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया.
रायगडा जिला कलेक्टर स्वधा देव सिंह ने सीडीएमओ डॉ लालमोहन राउतरे के साथ चिकित्सा केंद्रों का दौरा किया. उन्होंने शनिवार को कहा, "हालांकि हमें अभी तक डायरिया से होने वाली मौतों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन डायरिया के मामले सामने आने के बाद हमने पानी से होने वाली बीमारियों का इलाज शुरू कर दिया है."
कलेक्टर सिंह ने कहा कि बीमारी को और फैलने से रोकने के लिए पानी के दूषित स्रोतों को कीटाणुरहित किया जा रहा है. वहीं, सीडीएमओ ने कहा कि मलीगुडा में एक खुले कुएं में पानी दूषित पाया गया है और संबंधित अधिकारियों को ग्रामीणों के लिए पानी के वैकल्पिक स्रोतों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है.
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि अन्य गांवों के जल स्रोतों की भी पहचान की जाएगी और उनका उपचार किया जाएगा. बता दें कि काशीपुर ब्लॉक में पानी से होने वाली बीमारियों का इतिहास रहा है. 2008 में यहां डायरिया के कारण लगभग 100 लोगों की मौत हुई थी, जबकि हैजा ने 2010 में लगभग 100 लोगों की जान ले ली थी।
उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अनाज की कमी के कारण जंगली फल खाने के बाद मृतक को दस्त होने की आशंका है. कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने आरोप लगाया कि बीजद सरकार गरीबों को पीडीएस चावल उपलब्ध कराने में विफल रही है, जिसके चलते लोगों ने मजबूर होकर जंगली फल खाया है.
कांग्रेस के सचेतक ताराप्रसाद बहिनीपति ने दावा किया कि कई परिवारों को पीडीएस के तहत खाद्यान्न से वंचित कर दिया गया है क्योंकि उनके राशन कार्ड खो गए हैं. वहीं, विधानसभा में भाजपा के उपनेता बीसी सेठी ने पटनायक सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दूषित पानी पीने से हुई मौत के मामले ने राज्य में 22 साल पुरानी बीजद सरकार की उपलब्धि को दिखाती है. लोगों को खाद्यान्न नहीं मिलने के बाद जंगली फल खाना पड़ता है.
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