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6 छात्राओं को किया गया सस्पेंड, हिजाब पहनकर कॉलेज जाना पड़ा भारी

jantaserishta.com
2 Jun 2022 9:21 AM GMT
6 छात्राओं को किया गया सस्पेंड, हिजाब पहनकर कॉलेज जाना पड़ा भारी
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बेंगलुरु: कर्नाटक में हिजाब विवाद एक बार फिर चर्चा में है. दरअसल, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में हिजाब पहनकर कॉलेज पहुंचीं 6 छात्राओं को सस्पेंड कर दिया गया है. इन छात्राओं को 1 हफ्ते के लिए निलंबित किया गया है. बताया जा रहा है कि कई बार चेतावनी मिलने के बाद भी ये छात्राएं कॉलेज में हिजाब पहनकर पहुंची थीं.

ये मामला दक्षिण कन्नड़ के उप्पिनंगडी के सरकारी कॉलेज का है. यहां 6 छात्राओं को 1 हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया. ये छात्राएं कई चेतावनी के बाद भी हिजाब पहनकर क्लास में पहुंची थीं. कॉलेज प्रशासन की ओर से बताया गया है कि ये फैसला स्टाफ की मीटिंग के बाद लिया गया. कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इन छात्राओं को सस्पेंड इसलिए किया गया, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि इससे अन्य छात्राओं को भी विरोध के लिए उकसाया जाएगा.
हिजाब पर बैन के बावजूद मेंगलूर यूनिवर्सिटी में 16 छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंची. ये छात्र हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करना चाहती थीं. इससे पहले सोमवार को भी कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर पहुंची थीं. इसके बाद डीसी ने उन्हें कॉलेज की रूलबुक और सरकार और कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए कहा था.
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ था, जब कर्नाटक सरकार ने स्कूल- कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया था. इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तो तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी, प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं.
इसके बाद इसी साल जनवरी में उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी. कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था, लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गई थीं. इसके बाद से देशभर में हिजाब को लेकर विवाद हुआ था. हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन भी किए गए थे.
उधर, कर्नाटक में हिजाब बैन के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थीं. हालांकि, हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हालांकि, कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था.

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