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प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 59 नए संक्रमित सामने आए हैं
प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 59 नए संक्रमित सामने आए हैं। वहीं किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। गुरुवार को कुल 16 मरीजों ने कोरोना से जंग जीती है। अब प्रदेश में 255 एक्टिव केस हो गए हैं।
देहरादून में सर्वाधिक मामले
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, गुरुवार को सामने आए नए मामलों में देहरादून में सर्वाधिक 25, नैनीताल में 12, पिथोरागढ़ और बागेश्वर में दो, हरिद्वार में सात, चमोली और उत्तरकाशी में एक, ऊधमसिंह नगर जिले में नौ मामले शामिल हैं।
अब तक प्रदेश में कुल 344940 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। अब तक 331059 कोरोना संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं।
लॉकडाउन के दौरान वायु प्रदूषण में खासी वृद्धि
2020 से भारत में शुरू हुई कोविड महामारी के बाद देश भर में लॉकडाउन के दौरान निर्माण, यातायात फैक्टरी, मिलों में काम आदि के लगभग बंद रहने के चलते अधिकांश हिस्सों में वायु प्रदूषण में कमी आई थी, लेकिन नैनीताल स्थित आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के शोध अध्ययन में अब तक की धारणा के बिल्कुल उलट बताया गया कि उत्तर भारत में इस अवधि में वायु प्रदूषण में खासी वृद्धि हुई थी। सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों और डाटा के विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है।
इस अध्ययन से खुलासा हुआ है कि मध्य-पश्चिमी भारत और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत प्रदूषण में वृद्धि देखी गई। इन क्षेत्रों में सांस की समस्याओं संबंधी जोखिम बढ़ा है। इस दौरान के उपग्रह-आधारित अवलोकन में पश्चिमी-मध्य भारत, उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों और सुदूर हिमालयी क्षेत्रों तक में जहरीली गैसों, ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि के स्तर में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि दिखाई दी। वैज्ञानिकों के अनुसार इनके स्तर में यह बढ़ोतरी उन क्षेत्रों के आसपास श्वसन संबंधी स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकता है।
यह शोध करने वाले एरीज के वैज्ञानिक मनीष नाजा ने बताया कि समताप मंडल, स्ट्रेटोसफियर से लंबी दूरी और निचली सतह की ओर होने वाले परिगमन से लॉकडाउन के दौरान भी हिमालय जैसे दूरदराज के क्षेत्रों और उत्तर भारत में ओजोन सांद्रता में काफी वृद्धि देखी गई।
नाजा ने बताया कि इस अध्ययन में वर्ष 2018, 2019 और 2020 के लिए यूमेटसैट और नासा के उपग्रह अवलोकनों का उपयोग किया गया। डॉ. मनीष नाजा के निर्देशन में किया गया यह शोध प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका 'एनवायरनमेंटल साइंस एंड पोल्यूशन' के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है।
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