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नई दिल्ली। चुनाव आयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए तमाम प्रयास करता है. आईडी चेक करता है, लिस्ट से मिलन होता है, कैमरे लगाए जाते हैं, उसके बाद भी ऐसे कई फर्जी व्यक्ति हैं जो फर्जी वोट डालकर निकल जाते हैं और इसकी भनक तक प्रशासन को नहीं लगती है. ऐसे कई मामले कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र में सामने आए हैं. जब 54 फर्जी वोट डाले गए.
लोकसभा चुनाव में प्रशासन ने शून्य टेंडर वोट के प्रयास किए थे. निर्वाचन विभाग और पुलिस की तमाम व्यवस्थाओं को यह फर्जी वोटर ताक पर रखकर निकल गए. कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा में आती है और इन आठवां विधानसभा में 54 मतदाताओं के मतदान केंद्र पहुंचने से पहले ही यह लोग अपना काम करके निकल गए. यह लोग इतने शातिर हैं कि वोटिंग के बाद तुरंत ही वहां से चले गए.
कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के कोटा उत्तर विधानसभा की बात करें तो यहां पर 11 मतदाताओं के पहुंचने से पहले ही उनका वोट कोई और डाल गया. सारी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद अंत में उन्हें टेंडर वोट डालना पड़ा. इसी प्रकार लाडपुरा विधानसभा में भी फर्जी मतदाता अपना काम करके निकल गए और वास्तविक मतदाता को टेंडर वोट डालना पड़ा. यहां भी 11 वास्तविक मतदाता के पहुंचने से पहले ही वोट डाल चुका था. कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 10 फर्जी वोट के मामले सामने आए हैं जिसमें टेंडर वोट डाले गए और इनका वोट कोई और डालकर चला गया.
केशवरायपाटन और बूंदी में 7-7 फर्जी वोट डाले गए जबकि रामगंजमंडी में 5 और सांगोद में 3 फर्जी वोट डाले गए, केवल पीपल्दा ही ऐसी विधानसभा थी जहां इस तरह का मामला सामने नहीं आया है. कुल 54 मतदाताओं के वोट को कोई और डाल गया जिसके बाद मतदान केंद्र पहुंचने पर इन सभी मतदाताओं से बैलेट पेपर पर टेंडर वोट करवाए गए. दो प्रत्याशियों में हार जीत का फैसला कम अंतर से होता है तो प्रत्याशी कोर्ट की शरण ले सकता है, ऐसी परिस्थितियों में इन टेंडर वोटों की गिनती की जाती है.
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