भारत
नमामि गंगे की 50 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन में निजी क्षेत्र की रहेगी सहभागिता
Deepa Sahu
11 Feb 2022 3:57 PM GMT
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नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रस्तावित 50 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
नई दिल्ली। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रस्तावित 50 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। बाकी परियोजनाओं पर कार्य तेज कर दिया गया है। ज्यादा जोर उन सीवर लाइनों को दुरुस्त करने पर है, जिनका सीवेज सीधे गंगा नदी में गिरता है। ऐसे नालों को रोकना पहली प्राथमिकता है। 24.57 हजार करोड़ रुपये की लागत से पांच हजार किलोमीटर से अधिक सीवर लाइन बिछाने और 500 करोड़ लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इनके संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी होगी।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने यह जानकारी संसद में पूछे एक लिखित सवाल के जवाब में दी है। वर्ष 2021 के दौरान कुल प्रस्तावित 56 परियोजनाओं में से 17 सीवेज इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पूरा हो चुके हैं। गंगा बेसिन स्थित इन परियोजनाओं में उत्तराखंड में चार, उत्तर प्रदेश में सात, बिहार में दो, झारखंड में एक और दिल्ली में तीन परियोजनाएं हैं। बाकी 39 परियोजनाओं पर काम जारी है, जिसे समय से पहले पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की चौतरफा तैयारी की गई है।
गंगा नदी के स्त्रोत वाले राज्य उत्तराखंड से लेकर नदी के समुद्र में गिरने वाले राज्य बंगाल तक के शहरों से निकलने वाले प्रदूषित सीवेज के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और शहरों में कच्चे नालों की जगह सीवर लाइन बिछाने का काम तेज कर दिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ राज्यों की भूमिका भी अहम है। गंगा किनारे के शहरी क्षेत्रों में घाट और श्मशान घाटों के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा नदी किनारे वाले क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जैव विविधता के संरक्षण और जन भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। इसमें गंगा नदी के साथ उसकी सहायक नदियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
इस बाबत 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत वाली कुल 363 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से से अब तक 177 परियोजनाएं पूरी भी हो चुकी हैं। पूरी हुई परियोजनाओं में ज्यादातर घरेलू व औद्योगिक प्रदूषित जल के शोधन से संबंधित हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन के लिए निजी क्षेत्रों की सहभागिता को पहले ही मंजूरी दे दी गई है।
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