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यूट्यूबर पर 50 लाख का जुर्माना, हाईकोर्ट ने इस मामले में दिया जोर का झटका

jantaserishta.com
16 March 2024 5:13 AM GMT
यूट्यूबर पर 50 लाख का जुर्माना, हाईकोर्ट ने इस मामले में दिया जोर का झटका
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कहा अदालत ने आंखों पर पट्टी नहीं बांध रखी है और ना ही आंख बंद कर रह सकती है.
चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने RSS से जुड़े संगठन सेवा भारती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में हाल ही में एक यूट्यूबर पर 50 लाख का जुर्माना बतौर हर्जाना ठोका है। इसके साथ ही अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अदालत ने आंखों पर पट्टी नहीं बांध रखी है और ना ही आंख बंद कर रह सकती है। जस्टिस एन सतीश कुमार की पीठ ने 6 मार्च को दिए अपने आदेश में कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कोई भी अपनी संवैधानिक स्वतंत्रता और अधिकार का उपयोग दूसरों की गोपनीयता पर हमला करने या उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए नहीं कर सकता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में लिखा, "केवल, अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने, कोई दूसरों की निजता में दखल देकर साक्षात्कार नहीं कर सकता, कानून किसी यूट्यूबर और सोशल मीडिया को दूसरों की प्रतिष्ठा खराब करने की इजाजत नहीं देता है। इसलिए, अदालत अपनी आंखों पर पट्टी नहीं बांधे रह सकती है।" इसके साथ ही कोर्ट ने यूट्यूबर सुरेंद्र उर्फ नाथिकन को सेवा भारती ट्रस्ट को 50 लाख रुपये का हर्जाना चुकाने का आदेश दिया है।
दरअसल, यूट्यूबर ने 2020 में दो ईसाई पुरुषों, पी जयराज और उनके बेटे बेनिक्स की हिरासत में हुई मौत के मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तमिलनाडु की सेवा भारती ट्रस्ट के तार जोड़े थे और ट्रस्ट पर कई अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके खिलाफ सेवा भारती ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और मुआवजे की मांग की थी। इसके साथ ही ट्रस्ट ने अदालत से मांग की थी कि वह यूट्यूबर को उसके खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान देने से रोकने का निर्देश दे।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आजकल लोग सोशल मीडिया पर प्रसारित बयानों का इस्तेमाल ब्लैक मेल करने के एक उपकरण के रूप में करने लगे हैं, जिसे किसी भी सूरत में प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर शुरुआती चरण में ही इसे हतोत्साहित न किया गया तो फिर इसका कोई अंत नहीं होगा और हरेक ब्लैक मेलर झूठी और अनावश्यक खबरें फैलाकर दूसरों को ब्लैकमेल करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकता है।''
सेवा भारती ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि जयराज और बेनिक्स की मौत से उसका कोई लेना-देना नहीं रहा है और यह ज्ञात तथ्य है कि दोनों की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। बावजूद इसके सुरेंद्र ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट कर झूठा दावा किया कि दोनों की मौत में ट्रस्ट का हाथ है। ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि यूट्यूबर ने उसे सिर्फ इसलिए बदनाम किया क्योंकि वह आरएसएस से जुड़ा हुआ संगठन है। हाई कोर्ट ने कहा कि वीडियो की सामग्री मानहानिकारक और निराधार है। इसलिए यूट्यूबर पर जुर्माना लगाया जाता है।
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