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5 दिन में 5 मर्डर: पुलिस अधिकारियों पर उठने लगे सवाल

Nilmani Pal
22 July 2022 2:23 AM GMT
5 दिन में  5 मर्डर:  पुलिस अधिकारियों पर उठने लगे सवाल
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जांच जारी

यूपी। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में ठेकेदार की हत्या को 48 घंटे भी नहीं बीते कि आज रात फिर एक और युवक की सरेआम हत्या कर दी गई. चिंताजनक बात यह है कि पिछले पांच दिनों के भीतर ही जिले में पांच हत्याएं हो गईं. वह भी तब, जब कानपुर जिले में एक-दो नहीं, बल्कि 14 भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अफसरों की फौज कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात हैं. इस तरह 24 घंटे में तीन और पांच दिनों में पांचवीं हत्या होने से पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठने लाजमी हैं. दरअसल, गुरुवार रात कल्याणपुर इलाके में रहने वाले विशाल निषाद गोली मारकर हत्या कर दी गई. डेयरी पर दूध लेने निकले युवक को पहले हत्यारों ने पत्थरों से मारकर घायल किया और फिर गोली मारी गई. मृतक के परिजनों को आरोप है कि सगे चाचा हरिश्चंद्र के बेटे विकास ने अपने साथियों के संग मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया.

एडीसीपी ब्रजेश श्रीवास्तव ने बताया कि पारिवारिक रंजिश में इस वारदात को अंजाम दिया गया है. इस हत्याकांड के आरोपी विशाल पर पुलिस रिकॉर्ड में भी कई केस दर्ज थे. पुलिस एफआईआर लिखकर आरोपियों की तलाश में जुट गई है. बताया गया कि मृतक विशाल निषाद बीजेपी पार्षद विजय का रिश्ते में भतीजा लगता था. जबकि विशाल की हत्या उसके पिता के सगे भाई यानी ताऊ हरिश्चंद्र के बेटे विकास ने की है.

हुए हत्या की जानकारी

- 16 जुलाई को पनकी इलाके में राजमिस्त्री अरुण कुमार की अपहरण करके हत्या कर दी गई थी, जिसकी बॉडी खेत में गड़ी मिली थी.

- 20 जुलाई को बिल्हौर के सुक्खा पुरवा में 65 वर्षीय बुजुर्ग राम सिंह कटियार की हत्या करके शव को कुएं में फेंक दिया गया था.

- 20 जुलाई को ही चकेरी इलाके में बिल्डर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने ठेकेदार राजेंद्र पाल को पैसा मांगने पर जिंदा फूंक दिया था.

- 21 जुलाई को घाटमपुर में राजेश शंखवार नामक युवक को डंडे से पीटकर मार डाला गया था. और रात होते होते कल्याणपुर में विशाल की हत्या कर दी गई.

इस तरह कानपुर में चौबीस घंटे में तीन और पांच दिनों में पांचवीं हत्या होने ने पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि शहर में 2 एडीजी रैंक के आईपीएस, 3 आईजी रैंक, 4 एसएसपी रैंक के आईपीएस अफसर हैं. बाकी आईपीएस एसीपी और एडीसीपी की पोस्ट पर तैनात हैं. लेकिन अपराध का ग्राफ बताता है कि पुलिस महज कागजी कार्यवाहियों में ही व्यस्त है.


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