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क्या है पूरा मामला?
नई दिल्ली: अमेरिका में रहने वाले एक एनआरआई के खाते से फर्जी चेक बुक और अमेरिकी फोन नंबर के जैसा भारतीय नंबर प्राप्त कर धनराशि की निकासी के प्रयास किए जा रहे थे. एचडीएफसी बैंक ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को शिकायत दी थी कि इस खाते से निकासी के 66 प्रयास किए जा चुके हैं. शिकायत पर साइबर सेल CyPAD ने इंटरनेट बैंकिंग के जरिए हैकिंग में शामिल जालसाजों के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है.
एनआरआई ग्राहक की धोखाधड़ी से प्राप्त चेक बुक का उपयोग करके निकासी का प्रयास भी इसी गिरोह ने किया था. साइबर सेल के मुताबिक इस गिरोह के लोगों ने केवाईसी में पंजीकृत खाताधारक के यूएसए के मोबाइल नंबर के समान एक भारतीय मोबाइल फोन नंबर भी हासिल किया. एचडीएफसी बैंक के तीन कर्मचारियों सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
बताया जाता है कि एचडीएफसी बैंक ने स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट में शिकायत दर्ज करा आरोप लगाया था कि एक एनआरआई बैंक खाते में कई अनधिकृत इंटरनेट बैंकिंग ट्रांजेक्शन के प्रयास देखे गए हैं. इसके अलावा, धोखाधड़ी से प्राप्त चेक बुक का उपयोग करके उसी खाते से नकदी निकालने के भी प्रयास किए गए हैं.
पहले से रजिस्टर्ड यूएस मोबाइल फोन नंबर के जैसा ही भारतीय मोबाइल फोन नंबर लेकर उसी बैंक खाते के केवाईसी में नंबर अपडेट करने के भी प्रयास किए गए. एचडीएफसी बैंक ने आरोप लगाया था कि इंटरनेट बैंकिंग के जरिए खाते तक पहुंचने की कोशिश एक या दो बार नहीं, 66 बार की गई है.
छापेमारी के बाद गिरफ्तारी
साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की और दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 20 जगह छापेमारी की. जांच के दौरान कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें से तीन एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी भी हैं. बैंक के ये कर्मचारी चेक बुक जारी करने, मोबाइल फोन नंबर अपडेट करने में शामिल थे. साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि गैंग के मास्टरमाइंड को ये पता था कि एनआरआई का खाता निष्क्रिय है और उसके पास भारी धनराशि है.
उन्होंने आगे बताया कि गैंग के मास्टरमाइंड ने अपने साथियों आर जायसवाल, जी शर्मा और ए सिंघल के साथ मिलकर खाते के संबंध में जानकारी जुटाई थी. एचडीएफसी की एक महिला कर्मचारी की मदद से खाते की चेक बुक जारी कराई और खाते का कर्ज फ्रीज भी कराया. जांच से पता चला है कि एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी को 10 लाख रुपये और बीमा कारोबार 15 लाख रुपये का वादा किया गया था (जो कि मूल्यांकन के लिए बैंक द्वारा उसे सौंपा गया था).
साइबर सेल के मुताबिक एचडीएफसी के कर्मचारी डी चौरसिया और ए सिंह ने केवाईसी से जुड़े फोन नंबर अपडेट करने के प्रयास किए थे. अन्य सहयोगियों ने राशि के हस्तांतरण के उद्देश्य से खाते की इंटरनेट बैंकिंग में लॉगिन करने का प्रयास भी किया था. निकासी के ये सभी प्रयास, इंटरनेट बैंकिंग के लिए अनधिकृत लॉगिन प्रयास, मोबाइल फोन नंबर को अपडेट करना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण ही संभव हो सका था. फिलहाल, साइबर सेल ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इनसे पूछताछ की जा रही है.
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