नई दिल्ली। देश में वकीलों की सबसे बड़ी संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने उत्तर प्रदेश के 28 वकीलों को सस्पेंड कर दिया. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (Motor Accident Claims Tribunal) और कर्मचारी क्षतिपूर्ति कानून (Workmen Compensation Act) के अंतर्गत फर्जी दावे दायर करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के 28 वकीलों को निलंबित किया है. इस घोटाले के बारे में खुलासा होने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसकी जांच एसआईटी को सौंपी थी, जिसके बाद बीसीआई ने ये कार्रवाई की. इसके चलते बीमा कंपनियों को 300 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगने से बच गई.
संबंधित मामलों की प्राथमिकी और आरोप पत्र में वकीलों के नाम आने के मद्देनजर बीसीआई ने 19 नवंबर को हुई बैठक में इस बाबत निर्णय लिया. संबंधित मामलों में एफआईआर और चार्जशीट में अधिवक्ताओं के नाम काटे गए थे. बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक बयान में कहा कि आरोपी वकीलों के खिलाफ जारी कार्यवाही पूरी होने तक निलंबन जारी रहेगा. इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह भी उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि अधिवक्ताओं द्वारा फर्जी दावा याचिकाएं दाखिल करने के गंभीर आरोपों के बावजूद यूपी बार काउंसिल द्वारा उन्हें अपना पक्ष पेश करने का निर्देश नहीं देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि यह यूपी बार काउंसिल की ओर से उदासीनता और असंवेदनशीलता दर्शाता है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा को इस पर गौर करना चाहिये. शीर्ष अदालत ने इस सुनवाई को दौरान यूपी सरकार की ओर से दायर एक पूरक हलफनामे पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सात अक्टूबर 2015 के आदेश के अनुपालन में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है.