भारत
कोरोना के बाद बिहार में हुईं 2,51,000 ज्यादा मौतें, हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़ता है दबाव
Rounak Dey
21 Aug 2021 2:35 AM GMT
x
इसका उपयोग उन मौतों की संख्या की गणना करने के लिए किया जा रहा है जो महामारी से नहीं होती हैं.
बिहार में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के तहत कोरोना के प्रकोप की शुरुआत के बाद कम से कम 2,51,000 ज्यादा लोगों की मौत दर्ज की गई है. ये आधिकारिक मौतों (5,163) की संख्या का 48.6 गुना है. जनवरी 2015 से मई 2021 के बीच राज्य की नागरिक पंजीकरण प्रणाली में दर्ज मौतों के आधार पर बिहार के आंकड़े में बहुत अंतर है.
ये देश में अबतक किसी भी राज्य के अंदर मौते के आंकड़ों में देखा गया सबसे बड़ा अंतर है.अत्याधिक मृत्यु या मृत्यु दर एक सामान्य शब्द है, जो कोरोन महामारी के दौरान सभी वजहों से होने सवाली मौतों की कुल संख्या को दिखाता है.
हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़ता है दबाव
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान सभी मौतें कोरोना की वजह से नहीं हुई लेकिन महामारी के दौरान मौत के आंकड़ो में आए अंतर का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से महामारी से जुड़े होने की संभावना रहती है और इससे क्षेत्रीय हेल्थकेयर सिस्टम पर दबाव पड़ता है.विश्लेषण के लिए महामारी से पहले जनवरी 2015 से फरवरी 2020 के सीआरएस डेटा से एक सभी कारणों से मौतों की एक बेसलाइन बनाई गई और इसकी तुलना मार्च 2020 में दर्ज मौतों से की गई है. इस तरह से अतिरिक्त मौतों की संख्या सामने आई है.
2,51,000 अधिक मौतें हुई
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर इस तरह का डेटा मानव जीवन पर महामारी के वास्तविक प्रकोप के बारे में अहम जानकारी देता है. डेटा से पता चलता है कि महामारी से पहले चार साल की अवधि की तुलना में कोरोना की शुरुआत के बाद से 2,51,053 अधिक मौतें हुई हैं.
वहीं मई के अंत तक राज्य के आधिकारिक आकंड़ो के अनुसार कोरोना से मरने वालों की संख्या 5163 थी. सीआरएस आकंड़ों से पता चलता है कि आधिकारिक कोरोना की मौतों का आकंड़ा 48.6 प्रतिशत कम है. कोरोना के दौरान राज्य सरकारों ने ग्राउंड डेटा इक्ट्ठा करने के लिए इस सिस्टम को शुरु किया गया था. ये रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के कार्यालय के तहत सभी जन्म और मृत्यु को रिकॉर्ड करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रणाली है. इसका उपयोग उन मौतों की संख्या की गणना करने के लिए किया जा रहा है जो महामारी से नहीं होती हैं.
Next Story