भारत

2022 चुनाव: यूपी के दलित वोटों पर प्रियंका गांधी की नजर, कुछ ऐसा है पूरा प्लान

jantaserishta.com
30 Dec 2021 5:56 AM GMT
2022 चुनाव: यूपी के दलित वोटों पर प्रियंका गांधी की नजर, कुछ ऐसा है पूरा प्लान
x

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जब दलितों की पार्टी कहलाने वाली बसपा की नजर ब्राह्मण वोटों पर है. वही, कांग्रेस दलितों के साथ अपने पुराने रिश्ते मजबूत करने जुटी हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को फिरोजाबाद में महिला रैली से पहले सितारा जाटव के घर चाय पीने पहुंचीं तो शाम को आगरा में वाल्मीकि समाज के लोगों के बीच पहुंचीं. इस तरह से प्रियंका गांधी बृज इलाके के दौरे पर दलित समाज की दो बड़ी जातियों को साधने का दांव खेलती नजर आई हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रियंका कांग्रेस के दलित वोटबैंक की 'घर वापसी' करा पाएंगीं?

जाटव समाज के महिला से मिली प्रियंका गांधी
2022 यूपी चुनाव के लिए 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान के तहत कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी महिलाओं से संवाद के लिए बुधवार को फिरोजाबाद पहुंचीं. फिरोजाबाद जाते समय रास्ते में प्रियंका गांधी ने चूड़ी बनाने वाली एक दलित महिला सितारा जाटव के घर गई और उनसे बातचीत किया. सितारा जाटव चाय बनाकर प्रियंका गांधी को पिलाई और उन्हें चूड़ी बनाना सिखाया.
सितारा जाटव से मिलने का एक वीडियो को प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है, 'फिरोजाबाद जाते वक्त चूड़ी उद्योग में जुड़ाई व झलाई का काम करने वाली सितारा जाटव से मुलाकात किया. कांग्रेस का शक्ति विधान ऐसी तमाम महिलाओं के हाथ में शक्ति देने के लिए है.' वीडियो में प्रियंका गांधी दलित महिला से बात करने के दौरान उसके बच्चे के कपड़े भी तह कर रही है. इस दौरान प्रियंका महिला से चूड़ी बनाने की लागत और इनकम पर बातचीत कर रही है. साथ ही वो गैस की बढ़ती कीमतों पर भी सवाल कर रही हैं.
वाल्‍मीकि समाज पर खेल रही प्रियंका दांव
फिरोजाबाद जाते समय में प्रियंका गांधी सितारा जाटव से मिली तो वापसी करने के दौरान आगरा में वाल्‍मीकि समाज के बीच पहुंचीं. प्रियंका गांधी ने वाल्‍मीकि समाज के चौधरियों साथ मुलाकात की और कहा कि वाल्मीकि समाज कमजोर नहीं है बल्कि खुद लड़ कर अपना अधिकार ले सकता है. वाल्मीकि समाज के चौधरियों के साथ बैठक के दौरान प्रियंका गांधी ने उनसे तीन दिन के अंदर उम्मीदवार का नाम मांगा है, जिन्हें 2022 के चुनाव में उतार सकें.
प्रियंका गांधी ने हाथरस की दलित युवती के साथ रेप और आगरा के वाल्मीकि समाज के युवक मृतक अरुण की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि हमने बहुत सोचा कि इस समाज के साथ हम ऐसा क्या कर सकते है कि समाज अपनी लड़ाई खुद लड़े. इसी को सोचकर यह फैसला लिया गया है. आप अपनी राजनीतिक ताकत हासिल करिए और अपनी लड़ाई मजबूती से लड़िए.
आगरा में वाल्‍मीकि समाज के लोगों को प्रियंका गांधी ने 2022 के चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर बड़ा सियासी दांव चला है. आगरा का इलाके में दलित समाज की बड़ी आबादी है, जिनमें खासकर वाल्‍मीकि और जाटव समाज के लोग रहते हैं. जाटव बसपा का कोर वोटबैंक माना जाता तो वाल्‍मीकि बीजेपी का हार्ड कोर वोटर रहा है. ऐसे में प्रियंका गांधी ने दलितों के इन दोनों ही समाज को साधने की कवायद की है.
वाल्‍मीकि समाज से प्रियंका को क्या मिलेगा?
बता दें कि पिछले दिनों आगरा में वाल्मीकि समाज के वरुण वाल्‍मीकि की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. प्रियंका पीड़ित परिवार से मिलने गईं तो यूपी सरकार ने उनका रास्ता रोका. कांग्रेसियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसके बाद योगी सरकार ने प्रियंका को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति देनी पड़ी. ऐसे में कांग्रेस ने पीड़ित परिवार को दस लाख रुपये दिया था और इंसाफ दिलाने का फरोसा जताया था.
इसी दौरान वाल्मीकि समाज के युवा नेता प्रियंका के संपर्क में आ गए थे. उन्होंने ही वाल्मिकि समाज बैठक में प्रियंका गांधी को आमंत्रित किया था. प्रियंका फिर उस परिवार से मिलीं, जिनके युवक की हत्या की गई थी. आगरा मंडल में वाल्मीकि समाज पर बीजेपी का काफी प्रभाव है. पहले यह बीएसपी का गढ़ हुआ करता था. प्रियंका ने उस समीकरण को बदलने की कोशिश की है. वाल्मीकि समाज के चौधरियों ने प्रियंका गांधी को वचन दिया है कि यूपी में जहां-जहां उनकी रिश्तेदारियां हैं, वहां-वहां वो संदेश भेजकर कांग्रेस से जुड़ने के लिए कहेंगे.
जाटव-वाल्‍मीकि वोटों पर नजर
यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस अपनी सियासी जमीन वापस पाने के लिए अपने पुराने और परंपरागत दलित वोटबैंक पर नजर गड़ा दी है. कांग्रेस जनवरी के दूसरे हफ्ते में कानपुर में दलित महासम्मेलन आयोजित करेगी, जिसमें प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ-साथ पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी दलित वोटों को साधने उतरेंगे. ऐसे में प्रियंका गांधी कानपुर रैली में दलित समाज को लेकर अपना सियासी एजेंडा साफ करेंगी, लेकिन उससे पहले दलित के बीच जाकर उनके बीच अपनी पकड़ को मजबूत बनाना चाहती हैं.
दलितों के मुद्दे पर मुखर प्रियंका
बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद से ही दलित मुद्दों पर आक्रमक तरीके से रुख अख्तियार कर रखा है. सोनभद्र नरसंहार से लेकर हाथरस, आगरा और आजमगढ़ में दलित समुदाय से जुडे़ मामलों में प्रियंका गांधी आक्रामक रहीं और घटनास्थल पर पहुंचकर योगी सरकार को घेरने का काम किया है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी ने पीड़ित दलित परिवार को आर्थिक मदद भी देने का काम किया था.
उत्तर प्रदेश में दलित वोटों को साधने के लिए प्रियंका गांधी ने हरियाणा के प्रदीप नरवाल और महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नितिन राउत को लगा रखा है. यह दोनों ही नेता दलित समाज से आते हैं. प्रदीप नरवाल को प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है. वाल्‍मीकि
समाज के चौधरियों के साथ बैठक के पीछे प्रदीप नरवाल का हाथ माना जा रहा है. इतना ही नहीं प्रदीप नरवाल ने इस बार कांग्रेस को सुरक्षित सीटों के अलावा सामान्य सीटों पर भी दलित कैंडिडेट उतारने की तैयारी कर रखी है.
सूबे में करीब 22 फीसदी दलित मतदाता
दरअसल, उत्तर प्रदेश में तीन दशक से ज्यादा समय से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस को सूबे में दोबारा से खड़ा करने की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के कंधों पर है. कांग्रेस की नजर दलित कोर वोटबैंक पर है. सूबे में करीब 22 फीसदी दलित मतदाता है, जो एक समय कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है. दलित समाज अस्सी के दशक तक कांग्रेस के साथ रहा है, पर बसपा के राजनीतिक उदय के बाद से वो कांग्रेस से छिटककर हाथी पर सवार हो गया.
कांग्रेस अब यूपी में दोबारा से दलित वोटों को जोड़ने की मुहिम पर जुटी है, जिसके लिए सूबे में दलित सम्मेलन कराने कराने की तैयारी की है. इसके लिए कांग्रेस ने राहुल-प्रियंका गांधी के साथ देश में एकलौत दलित सीएम चरणजीत सिंह के जरिए साधने की रणनीति बनाई है. हाल ही में चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के सीएम बने हैं और उन्हें यूपी के चुनावी रण में उतरकर कांग्रेस ने दलित वोटों को दोबारा से अपने पाले में लाने की कवायद करने जा रही है. वहीं, पिछले दिनों कर्तव्य राष्ट्रीय पार्टी की संस्थापक किरण आरसी जाटव ने लखनऊ में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की. इस दौरान प्रियंका ने आरसी जाटव को कांग्रेस में आने का प्रस्ताव दिया था.
यूपी में दलित सियासत का प्रभाव
उत्तर प्रदेश में दलित आबादी 22 फीसदी के करीब है, जो जाटव और गैर-जाटव के बीच बंटा हुआ है. सूबे में 42 ऐसे जिलें हैं, जहां दलितों की संख्या 20 फीसदी से अधिक है. सूबे में सबसे ज्यादा दलित आबादी सोनभद्र में 42 फीसदी, कौशांबी में 36 फीसदी, सीतापुर में 31 फीसदी है, बिजनौर-बाराबंकी में 25-25 फीसदी हैं. इसके अलावा सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ, अंबेडकरनगर, जौनपुर में दलित समुदाय निर्णायक भूमिका में है. यूपी में 17 लोकसभा और 85 विधानसभा सीटें दलित समुदाय के लिए रिजर्व हैं.
jantaserishta.com

jantaserishta.com

    Next Story