भारत
संसद पर हमले के 20 साल: मोदी और गृहमंत्री समेत कई नेताओं ने किया शहीदों को याद, गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा उठा था लोकतंत्र का मंदिर, कांप गई थी देश की रूह
jantaserishta.com
13 Dec 2021 4:52 AM GMT
x
नई दिल्ली: 20 साल पहले आज के दिन ही यानी की 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान से आए पांच दहशतगर्दों ने दिल्ली में लोकतंत्र के पवित्र मंदिर संसद भवन को गोलियों से छलनी करने की कोशिश की थी. आज देश पर हुए उस आतंकी हमले की 20वीं बरसी है.
इस मौके पर आज उन 9 वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर डटकर आतंकियों का मुकाबला किया और संसद भवन में घुसने के उनके मसूबों को बाहर ही नाकाम कर दिया.
उस वक्त देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी और संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. 13 दिसंबर की सुबह सफेद रंग की एम्बेसडर कार में मौजूद पांच हथियारबंद आतंकियों ने संसद भवन की इमारत में घुसने की कोशिश की.
संसद भवन के अंदर गेट की सही जानकारी नहीं होने की वजह जिस सफेद एम्बेसडर कार में आतंकी बैठे थे उसने उपराष्ट्रति के काफिले की गाड़ी को हड़बड़ी में टक्कर मार दी जिससे सुरक्षाकर्मियों को उनपर शक हो गया.
सुरक्षाकर्मी जब तक कुछ समझ पाते कार से कूद कर आतंकियों ने वहीं गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद संसद भवन की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने भी जवाबी गोलीबारी शुरू की. उस वक्त सदन में कई सांसद और मंत्री मौजूद थे.
तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी भी संसद परिसर के ही अपने दफ्तर में मौजूद थे जिन्हें सुरक्षा अधिकारियों ने कमरे में भेजकर सुरक्षित कर दिया और फिर मोर्चा संभाल लिया.
I pay my tributes to all those security personnel who were martyred in the line of duty during the Parliament attack in 2001. Their service to the nation and supreme sacrifice continues to inspire every citizen.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2021
आतंकी संसद परिसर में घुसकर नेताओं और मंत्रियों को निशाना बनाना चाहते थे लेकिन सुरक्षाबलों की मुस्तैदी की वजह से वो नाकाम हो गए और वहीं मारे गए. हालांकि इस दौरान आतंकियों से लड़ते हुए देश के 9 बहादुर जवानों ने भी शहादत दे दी.
देश पर हुए इस आतंकी हमले के मंसूबों को नाकाम करने में जे पी यादव, मतबर सिंह, कमलेश कुमारी, नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, घनश्याम, बिजेन्दर सिंह, देशराज जैसे वीर लड़ते हुए शहीद हो गए. इस आतंकी हमले में न्यूज एजेंसी एएनआई के कैमरामैन विक्रम सिंह बिष्ट की भी मौत हो गई थी.
आतंकी हमले की जांच में सामने आया कि इसका मास्टरमाइंड अफजल गुरु था जो पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में आईएसआई के कैंप में ट्रेनिंग भी ले चुका था. उसे ये काम जैश-ए-मोहम्मद के गाजी बाबा ने सौंपा था. जांच में यह भी साफ हुआ कि मारे गए पांचों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे.
संसद पर हुए इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तनाव आ गया था और युद्ध जैसे हालात बन गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने सभी जांच के बाद कश्मीरी आतंकी अफजल गुरु को लोकतंत्र के मंदिर पर हमले का मास्टमाइंड मानते हुए दोषी करार दिया और फांसी की सजा सुनाई. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई.
Next Story