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Jammu and Kashmir में नियुक्त हुए 20 नोडल अधिकारी, परिसीमन आयोग की करेंगे मदद

Kunti Dhruw
10 July 2021 2:53 PM GMT
Jammu and Kashmir में नियुक्त हुए 20 नोडल अधिकारी, परिसीमन आयोग की करेंगे मदद
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जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 20 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में 20 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है. हर जिले में नियुक्त हुए ये 20 नोडल अधिकारी परिसीमन आयोग को अगले 9 महीनों तक नए निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन में मदद करेंगे. एक सरकारी आदेश में इस बात की जानकारी दी गई है. आदेश के मुताबिक नोडल अधिकारी उपायुक्तों की मदद करेंगे और आयोग की तरफ से मांगी गई सूचना को समय पर उपलब्ध करवाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई मार्च 2020 में जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए गठित आयोग का नेतृत्व कर रहे हैं. आयोग के पास प्रक्रिया को पूरा करने के लिए लगभग 9 महीने बचे हैं. आयोग जम्मू और कश्मीर में पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों को भी बनाएगा.
आयोग ने शुक्रवार को आश्वासन दिया कि केंद्र शासित प्रदेश में नए विधानसभा क्षेत्रों को बनाने की कवायद पारदर्शी तरीके से की जाएगी और किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की जाएगी. इसी के साथ आयोग ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के उन आरोपों को खारिज कर दिया है.
परिसीमन आयोग की बैठक में पीडीपी नहीं हुई थी शामिल
जम्मू और कश्मीर में अपने दौरे के दौरान, आयोग ने श्रीनगर, पहलगाम, किश्तवाड़ और जम्मू में 280 प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की, जिसमें 800 लोग शामिल थे. हालांकि पीडीपी इस मुलाकात में शामिल नहीं हुई.
PDP ने मंगलवार को कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग से मुलाकात नहीं करेगी, क्योंकि केंद्र ने लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. पीडीपी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजुरा ने कहा कि हमारी पार्टी ने कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया है और वह ऐसी किसी कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगी, जिसके परिणाम व्यापक रूप से पूर्व नियोजित माने जा रहे हैं और जिससे हमारे लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं.
आयोग की अध्यक्ष जस्टिस रंजना देसाई को लिखे गए पत्र में पीडीपी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचल दिया गया था. जम्मू-कश्मीर के लोगों से उनके अधिकार छीन लिए गए. जिसके कारण लोग अभी भी परेशान हैं. देश भर में परिसीमन प्रक्रिया को 2026 तक रोक दिया गया है लेकिन जम्मू-कश्मीर अपवाद बना दिया गया है.
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