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उनके खिलाफ 2 थानों में अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं.
Katni News: मध्य प्रदेश में कटनी की 2 खूबसूरत लड़कियां लुटेरी दुल्हन निकली. उनके खिलाफ 2 थानों में अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं. लुटेरी दुल्हनों का फर्जी परिवार भी पुलिस के हत्थे चढ़ा है. इनमें वह दलाल भी शामिल है जो दुल्हनों का खूबसूरत चेहरा दिखा कर ठगी की वारदातों को अंजाम देता था. कटनी के एसपी सुनील कुमार जैन ने बताया कि कैमोर थाना क्षेत्र के बड़ारी गांव में रहने वाले बुजुर्ग जगदंबा प्रसाद दीक्षित ने पिछले दिनों थाने पर शिकायत दर्ज कराई थी.
शिकायत में उन्होंने बताया था कि, उनके दो पुत्र बसंत और राजेश अभी तक अविवाहित है और वे दोनों के विवाह को लेकर लड़कियां ढूंढ रहे थे. इसी बीच सतना के रहने वाले अरुण तिवारी और मनसुख उनके पास पहुंचे. दोनों ने खुद को समाज और बिरादरी का बताते हुए सतना की दो खूबसूरत बहनों को उनके घर की बहू बनाने का झांसा दिया.
इसके बाद दोनों जगदंबा प्रसाद को सतना स्थित सिंधी कैंप निवासी बबीता तिवारी के घर ले गए. यहां उन्होंने साधना तिवारी और शिवानी तिवारी को बबीता की पुत्री बता कर शादी की बात पक्की करवा दी. इसके बाद उन्होंने लड़कियों की आर्थिक स्थिति कमजोर बताते हुए विवाह के लिए सवा दो लाख जगदंबा प्रसाद से ऐंठ लिए. नवंबर माह में शादी होनी थी लेकिन शादी के पहले साधना और शिवानी के साथ बबीता का पूरा फर्जी परिवार गायब हो गया. जब जगदंबा प्रसाद को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई.
एसपी सुनील कुमार जैन ने बताया कि बबीता तिवारी फर्जी शादी का झांसा देकर परिवारों को ठगने वाले गिरोह की मुख्य सरगना है. जिस शिवानी और साधना को बबीता ने अपनी बेटी बताया था वे असल में उनकी बेटियां भी नहीं है. इस मामले में पुलिस ने अभी तक बबीता तिवारी के साथ अरुण तिवारी, मनसुख और केशव प्रसाद को गिरफ्तार किया है. केशव प्रसाद फर्जी दुल्हनों का मामा बना था.
एसपी सुनील कुमार जैन के मुताबिक अभी तक दो पीड़ित सामने आ चुके हैं जिन से लाखों रुपए की ठगी हुई थी. इस मामले में दो अलग-अलग अपराध दर्ज कर लिए गए हैं. अभी लुटेरी दुल्हन साधना और शिवानी की गिरफ्तारी होनी बाकी है. आरोपियों से पूछताछ के दौरान और भी जिलों में हुई वारदात का खुलासा होने की उम्मीद है.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक आरोपियों द्वारा कई वारदातों को अंजाम देने की बात स्वीकारी गई है. कई स्थानों पर रिपोर्ट दर्ज नहीं होने की भी जानकारी मिल रही है. लोग बदनामी के डर से रिपोर्ट नहीं लिखाते थे. हालांकि आरोपियों के पकड़े जाने के बाद अब अन्य पीड़ितों के भी सामने आने की उम्मीद है.
सबसे पहले बबीता पाश कॉलोनी में मकान किराए पर लेती थी. इस मकान को अपना बताया जाता था. इसके बाद गिरोह के सदस्य अरुण तिवारी और मनसुख ऐसे लोगों को ढूंढते थे जिनके पुत्र अविवाहित हैं और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है. यह गिरोह जिन लोगों को अपना शिकार बनाता था उन्हीं के समाज के बंधु बन कर उनके पास पहुंच जाते थे. वे परिस्थिति अनुकूल अपना नाम और सरनेम भी बदल लेते थे. वारदात को अंजाम देने के बाद वे मकान खाली कर फरार हो जाते थे.
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