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कोरोना की 2 दवाओं को मिली मंजूरी, गंभीर मरीज ही कर सकते है इस्‍तेमाल

Nilmani Pal
14 Jan 2022 2:14 AM GMT
कोरोना की 2 दवाओं को मिली मंजूरी, गंभीर मरीज ही कर सकते है इस्‍तेमाल
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दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना (Covid-19) और उसके नए वेर‍िएंट ओमिक्रॉन (Omicron) ने कहर मचा रखा है. इससे बचाव और इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दो नई दवाओं को मंजूरी दी है. डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने बैरिसिटिनिब दवा को गंभीर कोरोना मरीजों के लिए इस्‍तेमाल करने की बात कही है. यह दवा आर्थराइटिस के इलाज में इस्तेमाल होती है. इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सोत्रोविमैब को गैर गंभीर कोविड मरीजों के लिए मंजूरी दी है. साथ ही कहा है कि सोत्रोविमैब उन लोगों को ही दी जानी चाहिए, जिनके अस्पताल में भर्ती होने का रिस्क ज्यादा हो.

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि गंभीर कोविड मरीजों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ बैरिसिटिनिब के इस्‍तेमाल से ज‍िंदा रहने का प्रत‍िशत बेहतर हुआ और वेंटिलेटर की आवश्यकता कम हो गई. डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश में कहा गया कि बैरिसिटिनिब के इस्‍तेमाल से फायदा हुआ, लेकिन दवा का डैथ रेट और वेंटिलेशन पर शायद बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि टोसीलिजुमैब और सेरिलुमैब जैसे बैरिसिटिनिब और आईएल -6 रिसेप्टर ब्लॉकर्स के एक जैसे असर हैं. इसलिए इसका इस्‍तेमाल इसकी लागत और डॉक्‍टरों के अनुभव के आधार होना चाहिए.

जिस तरह पिछली यानी दूसरी लहर में रेमडेसिविर की काफी मांग हुई थी, ठीक उसी तरह इस बार मॉल्नुपिराविर की मांग बढ़ी है. इस दवाई को ही कोरोना की दवाई कहा जा रहा है. यह एक पूरा कोर्स होता है, जो पांच दिन का होता है और कोरोना मरीजों को दिया जा रहा है. बता दें कि यह एक एंटीवायरल ड्रग है. इस दवा को फ्लू यानी इंफ्लुएंजा के इलाज के लिए विकसित किया गया था. यह एक ओरल ड्रग है यानी इसे खा सकते हैं. मॉल्नुपिराविर संक्रमण के बाद वायरस को उसकी संख्‍या बढ़ाने से रोकती है. जब वायरस शरीर में पहुंचता है तो वो अपना जीनोम रेप्लिकेट करता है. इसी की मदद से वो अपनी संख्‍या को बढ़ाता है. लेकिन, जब मॉल्नुपिराविर दवा शरीर में पहुंचती है तो कोरोना से संक्रमित कोशिकाएं इन्‍हें अवशोषित (एब्‍जॉर्ब) कर लेती हैं. दवा के कारण संक्रमित कोशिकाओं में एक तरह की खराबी यानी डिफेक्‍ट आ जाता है और वायरस अपनी संख्‍या को नहीं बढ़ा पाता. इसलिए दवा का असर पूरे शरीर में होने पर वायरस कंट्रोल होने लगता है.

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