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आयुक्त के घर से 2 करोड़ नकदी और ज्वैलरी जब्त, पुलिस ने की छापेमारी

Nilmani Pal
20 Dec 2021 1:46 PM GMT
आयुक्त के घर से 2 करोड़ नकदी और ज्वैलरी जब्त, पुलिस ने की छापेमारी
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जांच जारी

महाराष्ट्र के शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पेपर लीक मामले में गिरफ्तार महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद के आयुक्त तुकाराम सुपे के घर पर पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान पांच सूटकेस में करीब 2 करोड़ 40 लाख रुपया बरामद किया गया है. इसके अलावा लाखों रुपये की ज्वैलरी भी बरामद की गई. इसकी पुष्टि पुणे के पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने की. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में TET परीक्षा में सॉफ्टवेयर कंपनी के संचालक व महाराष्ट्र परीक्षा परिषद के आयुक्त की सांठगांठ से रिजल्ट में हेराफेरी की गई थी. इस मामले में पूरी पड़ताल करने के बाद राज्य परीक्षा आयुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि परीक्षा में पैसे लेकर फेल छात्रों को पास करा दिया गया था.

पुणे की साइबर ब्रांच ने पुणे सिटी में म्हाडा पेपर लीक प्रकरण में दर्ज मामले के गिरफ्तार आरोपी देशमुख और उसका साथी संतोष हरकल से पूछताछ की थी. उन्होंने महाराष्ट्र परीक्षा परिषद के आयुक्त सभा अध्यक्ष तुकाराम नामदेव सुपे और शिक्षा विभाग में एडवाइजर के रूप में काम कर रहे अभिषेक सावरकर की मदद से वर्ष 2019-2020 के TET एग्जाम में परीक्षार्थियों से पैसे लेकर रिजल्ट में गड़बड़ी कर उन्हें पास कर दिया था.

साइबर पुलिस ने 16 दिसंबर को महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद के आयुक्त तुकाराम सुपे और शिक्षण विभाग के एडवाइजर अभिषेक सावरकर को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी वाली निजी कंपनी जीए सॉफ्टवेयर के संचालक प्रीतिश देशमुख को भरोसे में लेकर बुलढाणा ज़िले के सिंदखेड़राजा के रहने वाले एजेंट अंकुश हरकल की मदद से परीक्षार्थियों को पास कराया गया. सबसे 50 हजार से 9 लाख रुपयों तक लिए गए. कुल 4 करोड़ 20 लाख रुपये जमा हुए थे, जो आपस में बांट लिए गए थे. इसमें सुकाराम सुपे 1.70 करोड़, प्रितीश देशमुख को 1.25 करोड़ और अभिषेक को 1.25 करोड़ रुपये मिलने की बात कबूली है.

जी.ए. सॉफ्टवेयर कंपनी के संचालक ने तत्कालीन महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद नामदेव सुपे और शिक्षण विभाग के एडवाइजर अभिषेक सावरकर को विश्वास में लेकर अलग-अलग एजेंट बनाकर जिन परीक्षार्थियों को इस परीक्षा में पास होना है, उनसे मिलकर पैसे लिए, उन्हें पास किया. यह गड़बड़ी करते समय कंपनी के संचालक देशमुख ने OMR शीट स्कैनिंग कर ली और इसकी जानकारी परीक्षा परिषद को नहीं दी.

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