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कांग्रेस समेत 19 'समान विचारधारा' वाले दल नए संसद भवन के उद्घाटन का करेंगे बहिष्कार

jantaserishta.com
24 May 2023 10:53 AM GMT
कांग्रेस समेत 19 समान विचारधारा वाले दल नए संसद भवन के उद्घाटन का करेंगे बहिष्कार
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फाइल फोटो

नई दिल्ली (आईएएनएस)| कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि समान विचारधारा वाले 19 दलों ने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। एक संयुक्त बयान में इन दलों ने कहा, जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा निचोड़ ली गई है, तो हमें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता है। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक फैसले की घोषणा करते हैं।
बयान में कहा गया है, हम इस सत्तावादी प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ ..लड़ाई जारी रखेंगे और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।
बयान में यह भी कहा गया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसमें कहा गया है, हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है, और जिस निरंकुश तरीके से नए संसद भवन का निर्माण किया गया था उस पर हमारी अस्वीकृति के बावजूद, हम अपने मतभेदों को दूर कर इस अवसर में भागीदार बनने के लिए तैयार थे।
बयान में कहा गया है, लेकिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का खुद उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल घोर अपमान बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया जरूरी है।
संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि मुर्मू न केवल देशी की प्रमुख हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी हैं।
बयान में कहा गया है, वह संसद का सत्र बुलाती हैं, सत्रावसान करती हैं और उसे संबोधित करती है। संसद के किसी भी विधेयक के प्रभावी होने के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। संक्षेप में, संसद राष्ट्रपति के बिना कार्य नहीं कर सकती। फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।
विपक्ष के संयुक्त बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता और तीन विवादास्पद कृषि बिलों को पारित करने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है, जिन्होंने लगातार संसद को खोखला किया है। संसद के विपक्षी सदस्यों ने जब देश के लोगों का मुद्दा उठाना चाहा तो उन्हें अयोग्य, निलंबित और म्यूट कर दिया गया।
सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयक लगभग बिना किसी बहस के पारित किए गए हैं, और संसदीय समितियों को व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन भारी खर्च पर उस समय बनाया गया है जब सदी में एक बार आने वाली महामारी फैली हुई थी। देश के लोगों या सांसदों - जिनके लिए यह बनाया जा रहा है - के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में द्रमुक और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। दोनों क्रमश: तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हस्ताक्षर किया है जो 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित तमाम विपक्षी नेताओं से बात कर रहे हैं।
इसके अलावा हस्ताक्षर करने वालों की सूची में भाकपा और माकपा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट (कांग्रेस का सहयोगी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राष्ट्रीय जनता दल) शामिल हैं।
झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), वीसीके, राष्ट्रीय लोकदल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस, एमडीएमके और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी भी समारोह का बहिष्कार करेंगे।
बीजू जनता दल ने अब तक इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है और न ही बहिष्कार की घोषणा की है। पीएम मोदी द्वारा 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसका क्षेत्रफल 64,500 वर्ग मीटर है। यह त्रिकोणीय त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत है। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।
नई इमारत में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसमें एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष और भोजन कक्ष हैं। टाटा प्रोजेक्ट्स ने 970 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से नए संसद भवन का निर्माण किया है।
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