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फिल्मी कहानी जैसी है काबुल से 150 भारतीयों की आज हुई वापसी. 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारतीयों को वापस लाने के चुनौतीपूर्ण मिशन की एक-एक डिटेल्स फिल्मी हैं
फिल्मी कहानी जैसी है काबुल से 150 भारतीयों की आज हुई वापसी. 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद भारतीयों को वापस लाने के चुनौतीपूर्ण मिशन की एक-एक डिटेल्स फिल्मी हैं. दिल्ली में बने तीन कंट्रोल सेंटर – NSA, विदेश मंत्री और कैबिनेट सेक्रेट्री खुद निगरानी कर रहे थे. आदेश था कि एक भी भारतीय को खरोंच नहीं आनी चाहिए. अफगानिस्तान से गायब हो चुकी सरकार और सड़क पर मौजूद हथियारबंद तालिबानियों के बीच भारत ने मिशन को अंजाम दिया.
इंडियन एम्बेसी और एयरपोर्ट के बीच का सफर था सबसे खतरनाक था. तालिबानियों ने यहां 15 चेक पोस्ट बना रखे थे. खबर थी कि तालिबानियों के बीच पाकिस्तानी लोग और LET के आतंकी भी घुसे हैं. भारतीय राजनयिकों पर लगातार खतरा मंडरा रहा था. यहां से भारतीय दस्ता 14 बुलेटप्रूफ गाड़ियों में रवाना हुआ. इसमें लोकल अफगानियों की भी मदद ली गई थी. हर गाड़ी में हथियार के साथ ITBP के सुरक्षाकर्मियों को रखा गया.
दिल्ली को दी जा रही थी चेक पोस्ट पार करने की हर खबर
डर के माहौल का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इन गाड़ियों ने 10 मिनट की दूरी एक घंटे में पूरी की. इस दौरान हर चेक पोस्ट पार करने की खबर दिल्ली को दी जा रही थी. तालिबानियों से ज्यादा खतरा था उनके साथ मौजूद पाकिस्तानी समर्थक आतंकी संगठन के लोगों से. अमेरिकी सुरक्षा कर्मियों को केवल यह बताया गया था कि भारतीयों को लाया जा रहा है. एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को अलर्ट पर रखा गया था.
भारतीय दस्ते के साथ होने वाली छोटी घटना भी पॉलिटिक्स के हिसाब से लंबे समय तक प्रभाव डालती. प्लेन को दुशांबे में स्टैंड बाय पर रखा गया था. इंडियन एम्बेसी से एयरपोर्ट निकलने का समय मध्यरात्रि के बाद का रखा गया था. काबुल की सड़कों पर तालिबान का कर्फ्यू था. काफिले में सबसे आगे पश्तों और दारी भाषा बोलने वाले लोकल अफगान को रखा गया था. काफिले में मौजूद अफगान साथियों ने तालिबानियों को समझाया बुझाया और काफिला बढ़ता गया. एयरपोर्ट पहुंचने के बाद दिल्ली ने राहत की सांस ली.
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