10 साल की बच्ची ने 220 किलोमीटर तक साइकिल राइड कर रचा इतिहास
मुंबई से सटे ठाणे की जलपरी नाम से मशहूर कुमारी सईआशिष पाटील (Sai Ashish Patil) ने दस साल की उम्र में एक अनूठा कीर्तिमान बनाया है. सई ने कश्मीर से कन्यापुरी (Kashmir to Kanyakumari) तक का सफर साइकल (Cycle Ride) से पूरा किया है. इससे पहले भी सई ने छह साल की उम्र में पुलवामा हमले का निषेध व्यक्त करते हुए ठाणे की खाड़ी में 100 फुट की ऊंचाई से छलांग लगाने का रिकॉर्ड बनाया था. सई ने छह साल की उम्र में ही कंस के खडक से उरण इलाके के बीच की 11 किलोमीटर की दूरी एक घंटे में तय की थी. इन रिकॉर्ड्स की वजह से महाराष्ट्र की इस बेटी को अब तक काफी इनाम और सम्मान मिल चुके हैं.
सई ने अब तक कई प्रतिस्पर्द्धाओं में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं और जीत का परचम लहराया है. अपनी काबिलियत के दम पर सई ने हमेशा अपने देश, अपने राज्य और अपने माता-पिता का मान बढ़ाया है. सई के माता-पिता का कहना है कि हर मां-बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चे के पीछे पूरी मजबूती से खड़े रहें और उन्हें आगे बढ़ने की पूरी छूट और अवसर दें. सई ने 16 दिसंबर 2021 को कश्मीर के कटरा स्थित पवित्र वैष्णोदेवी के प्रवेश द्वार से अपनी यात्री शुरू की. करीब 3639 किलोमीटर की यह यात्रा सई ने 38 दिनों में पूरी की. यह बहुत बड़ा कीर्तिमान है, लेकिन इसके पीछे सई की मेहनत का लोगों को केवल अनुमान है. दिसंबर और जनवरी महीने का नाम जब भी आता है, कड़कड़ाती हुई सर्दी का ध्यान बरबस ही आता है. सई ने वो सब झेला, एडवेंचर से खेला. चुनौतियों की वजह से सीमाओं में नहीं बंधी, सई ने सभी सीमाओं को चुनौती दी. कुदरत के कहर के सामने नहीं गई ठहर…पूरा किया सफर!
इससे पहले सई ने कई बार दिल थाम कर देखने वाले कारनामों को अंजाम दिया है. ठाणे मेयर तैराकी प्रतिस्पर्द्धा में बैकस्ट्रोक, फ्रीस्टाइल, बटरफ्लाइ, बेस्ट्रोक प्रतिस्पर्द्धाओं में कई पदक अपने नाम किए हैं. कार्ला से ठाणे के बालकूम तक 120 किलोमीटर की यात्रा सिर्फ 6 घंटे में पूरी कर चुकी है. भारतमाता की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए सई कारगिल से श्रीनगर तक 220 किलोमीटर तक की साइकिल राइड पूरी कर चुकी है. अमृतसर से अटारी बॉर्डर तक साइकिल राइड कर सई ने भारतीय जवानों के प्रति अपना सम्मान और अभिमान प्रदर्शित किया है. जलपरी सई पाटील ने अपने इस महा साइकिल राइड में लोगों को कई सुंदर संदेश दिए. सई अपनी यात्रा के दौरान 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', 'स्त्री भ्रूण हत्या पर रोक लगाओ', 'मेरा स्वास्थ्य, मेरी जिम्मेदारी' जैसे कई संदेश देती हुई बढ़ी. सई के अभिभावकों का कहना है कि उन्हें सई के पेरेंट्स होने पर गर्व है.