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10 गिरफ्तार: रेमडेसिविर की कालाबाजारी, पुलिस ने रंगे हाथ दबोचा, 116 इंजेक्शन भी बरामद, कोड के जरिए ऐसे होता था खेल

jantaserishta.com
24 April 2021 5:25 AM GMT
10 गिरफ्तार: रेमडेसिविर की कालाबाजारी, पुलिस ने रंगे हाथ दबोचा, 116 इंजेक्शन भी बरामद, कोड के जरिए ऐसे होता था खेल
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रेमडेसिविर इंजेक्शन 15 हजार रुपये में ब्लैक करके बेच रहे थे.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रेमडेसिविर इंजेक्शन की धड़ल्ले से कालाबाजारी हो रही है. इसे लेकर राजधानी की पुलिस ने बीते दिन बड़ी कार्रवाई की. पुलिस टीम ने थाना मानक नगर नाका अमीनाबाद से 10 ऐसे लोगों को पकड़ा है जो रेमडेसिविर इंजेक्शन 15 हजार रुपये में ब्लैक करके बेच रहे थे. पुलिस ने इन्हें रंगे हाथ दबोचा है, इनके पास से 116 इंजेक्शन भी बरामद किए गए हैं.

वहीं दूसरी तरफ थाना गोमती नगर पुलिस ने थाना मड़ियाह में हॉस्पिटल संचालक सहित दवा कंपनी के एमआर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से पुलिस ने 54 इंजेक्शन और 51 हजार 400 रुपये बरामद किए हैं. वहीं थाना ठाकुरगंज पुलिस ने डॉक्टरों सहित चार लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजरी के आरोप में गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने हर्षा हॉस्पिटल के संचालक शहजाद अली के अलावा कृष्ण दीक्षित और रितेश गौतम को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपी कुछ तो केजीएमयू लॉरी क्वीन मैरी के मेडिकल स्टाफ और देवा व्यापारी है. वहीं इनमें कुछ लोग मेडिकल कॉलेज पढ़ाई कर चुके डॉक्टर हैं तो कुछ अस्पताल के संचालक हैं.
इंजेक्शन के लिए बनाया गया था कोड
आरोपियों ने रेमडेसिविर की इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के लिए कोड बनाया था, जिससे किसी की पकड़ में न आ सकें. इस इंजेक्शन को लंच बॉस्क में रोटी के नाम से कोड प्रयोग करके बेचा जा रहा था. पांच हजार रुपये की कीमत वाले इस इंजेक्शन के 20 हजार रुपये तक वसूले जा रहे थे.
वहीं इस मामले में पुलिस कमिश्नर ठीके ठाकुर ने बताया कि लखनऊ के अलग-अलग थानों में ठाकुरगंज, गोमती नगर, नाका अमीनाबाद, मानक नगर की पुलिस ने अलग-अलग टीमें बनाकर इंजेक्शन के बारे में सूचना लेकर छापेमारी की. इन सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से बड़ी तादाद में इंजेक्शन और रुपये बरामद किए गए हैं. बता दें कि उत्तर प्रदेश में रेमडेसिवर की कालाबाजारी रोकने के लिए यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश दिए हुए हैं. सीएम स्पष्ट कहा है कि किसी भी कीमत पर इंजेक्शन की कालाबाजारी नहीं होने चाहिए.

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