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मछलियों के चारे के लिए गुणवत्ता मानक बना रहा है भारतीय मानक ब्यूरो

Deepa Sahu
18 Feb 2022 6:29 PM GMT
मछलियों के चारे के लिए गुणवत्ता मानक बना रहा है भारतीय मानक ब्यूरो
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भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau Of Indian Standards– BIS) ने शुक्रवार को कहा कि वह मछलियों के चारे (Aqua Feed) के लिए नए भारतीय मानक विकसित कर रहा है, जिसमें नई प्रजातियों को शामिल किया जाएगा. इस समय बीआईएस ने कार्प, कैटफिश, झींगा और मीठे पानी के झींगे के लिए चारे के भारतीय मानक प्रकाशित किए हैं. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हम मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) के अनुरोध पर नई प्रजातियों को शामिल करते हुए मछलियों के चारे के लिए नए भारतीय मानक विकसित कर रहे हैं. बीआईएस खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधीन है.


बयान के मुताबिक बीआईएस ने 'मछलियों के लिये चारे पर भारतीय मानक' विषय पर एक 'वेबिनार' (ऑनलाइन संगोष्ठि) का आयोजन किया. इसमें उद्योग और सरकारी मत्स्य विभागों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. मसौदा मानकों पर हितधारकों से 15 मार्च 2022 तक सुझाव मांगे गए हैं. बीआईएस ने एक्वा फीड के लिए चार भारतीय मानक प्रकाशित किए हैं…


-आईएस 16150 (भाग 1) : 2014 मछली का चारा–विशिष्टता, भाग 1 तालाब की बड़ी मछली का चारा

-आईएस 16150 (भाग 2) : 2014 मछली का चारा–विशिष्टता, भाग 2 कैटफिश का चारा

-आईएस 16150 (भाग 3) : 2014 मछली का चारा–विशिष्टता, भाग 3 समुद्री केकड़ा (झींगे के जैसा) का चारा

-आईएस 16150 (भाग 4) : 2014 मछली का चारा–विशिष्टता, भाग 4 मीठे पानी में झींगा चारा

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अनुरोध पर हम नई प्रजातियों को शामिल करते हुए एक्वा फीड के लिए नए भारतीय मानक विकसित करने की प्रक्रिया में हैं.

-पंगेसियस मछली के लिए मछली का चारा

-सर्वाहारी मछली के लिए मछली का चारा

-मांसाहारी मछलियों के लिए मछली का चारा

-मछली के पॉलीकल्चर (बहुशस्यल) के लिए मछली का चारा

देश में जलीय कृषि तेजी से प्रगति कर रही है और इसी वजह से इस क्षेत्र में सरकारों द्वारा नई पहल/योजनाएं शुरू की जा रही हैं. भारतीय मानकों के कार्यान्वयन से एक्वा फीड की सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और इससे जलीय कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा. एक्वा फीड की बढ़ी हुई गुणवत्ता व सुरक्षा से निर्माताओं को बेहतर कीमत मिलेगी और उपभोक्ताओं को पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले सुरक्षित उत्पाद प्राप्त हो सकेंगे. मानकों का उपयोग देश में आयात किए जा रहे मछली के चारे की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है.


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