उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के एक गांव के आस-पास के इलाकों में कुत्तों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है. कुत्ते पहले बीमार पड़ रहे हैं, फिर खाना-पीना छोड़ दे रहे हैं. तेजी से उनका वजन घट रहा है, फिर मौत हो जा रही है. जिले के बांसी तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव रुद्रपुर में कुत्तों की असमय मौत से ग्रामीण परेशान हैं. ऐसी घटना इस गांव के करीबी इलाकों में भी देखी जा रही है. कुत्ते चल-फिरने में भी असमर्थ हो जा रहे हैं, फिर इनकी मौत हो जा रही है. कुत्तों की आंखें लाल हो रही हैं, फिर मौत हो जा रही है. रुद्रपुर के अलावा बष्ठा, मालीजोत में भी यही हालात हैं. रुद्रपुर में ही अकेले 15 से 20 कुत्तों की मौत हो चुकी है. बष्ठा में 10 से ज्यादा और मालीजोत में भी इतनी ही मौतें देखी गई हैं.
ग्रामीणों में सुगबुगाहट है कि कुत्ते किसी वायरल इन्फेक्शन का शिकार हो रहे हैं, जिसका इलाज न मिलने की वजह से इनकी मौत हो रही है. ग्रामीण इलाका होने की वजह से लोगों की पहुंच पशु चिकित्सालय तक नहीं है. जो लोग पशु चिकित्सा के क्षेत्र से भी जुड़े हैं, उन्हें इस तरह की बीमारी से निपटने का अनुभव नहीं है. वर्षों से पशु चिकित्सा कर रहे मेडिकल प्रैक्टिशनर्स कहना है कि गाय-भैंस और बकरी का इलाज तो किया है, कुत्तों की इस बीमारी के बारे में पहली बार सुन रहे हैं. आस-पास के लोगों को इस बात की भी आशंका सता रही है कि कहीं पशुओं में तो कोरोना संक्रमण नहीं फैल रहा है. हालांकि जब स्थानीय पशु चिकित्सालय में संपर्क किया गया तो उन्होंने बीमारी के बारे में पूरी जानकारी दी.
बांसी तहसील में तैनात मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ब्रिजेश पटेल को जब कुत्तों की संदिग्ध बीमारी के बारे में सूचना दी गई तो वे मौके पर पहुंचे. टेस्ट के बाद उन्होंने कहा कि कुत्तों में जो मौजूदा लक्षण हैं, वे पार्वो वायरस के हैं. इस बीमारी का पूरा नाम Canine Parvovirus है. पालतू कुत्तों में इसका संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है. अगर जल्द ट्रीटमेंट न दिया जाए तो इस बीमारी की चपेट में आकर 91 फीसदी मामलों में कुत्तों की जान चली जाती है. हालांकि पशु चिकित्सक ने यह भी कहा कि अगर समय से वैक्सीन लगा दी जाए तो तत्काल इस पर काबू पाया जा सकता है. वैक्सीन भी 81 फीसदी तक असरदार है.
क्यों फैलता है वायरस?
डॉक्टर ब्रिजेश पटेल ने कहा सामान्यत: गर्मी में ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. अगर साथ-साथ कहीं कुत्ते खाने की तलाश में गए हैं, तो अगर एक इन्फेक्टेड है, तो ज्यादार चांस है कि दूसरा भी इन्फेक्टेड हो जाए. हाल के दिनों में ऐसे मामले बढ़े हैं. पालतू कुत्तों में यह बीमारी तो देखने को मिलती थी, लेकिन आवारा कुत्ते भी इसका शिकार हो रहे हैं. कुत्तों में अगर यह वायरस फैलता है तो उन्हें भूख लगनी बंद हो जाती है. लार टपकने लगता है, तेजी से वजन कम होता है. अगर ट्रीटमेंट न मिले तो 3 से 10 दिनों के भीतर कुत्तों की मौत भी हो जाती है. कुत्तों के अलावा लोमड़ी, भेड़िया और बिल्लियों पर भी इस बीमारी का असर देखने को मिलता है.
ग्रामीणों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं ये बीमारी अब इंसानों में न फैल जाए. गांव के ही एक छात्र आदर्श ने कहा कि कुत्तों की लगातार मौत हो रही है. लोग जानवार से जुड़ा मसला होने की वजह से इस परेशानी को नजरअंदाज कर रहे हैं. रुद्रपुर के ही रहने वाले बेचन ने कहा कि कुत्तों की मौत से अब डर लग रहा है. वहीं पीतांबर चौरसिया ने कहा कि जैसी स्थितियां बन रही हैं, कहीं ऐसा न हो कि गांव से कुत्ते ही खत्म हो जाएं, जो पारिस्थितिकी के लिए ठीक नहीं होगा.