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जारांगे-पाटिल : अगर आंदोलन बंद हो गया तो मराठा आरक्षण की क्या गारंटी है?
जालना : मुंबई में हुई सर्वदलीय बैठक में मराठा आरक्षण के लिए प्रतिबद्धता जताई गई, लेकिन समय मांगे जाने की आलोचना करते हुए शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने अंतरवाली-सराती गांव में आठ दिनों से कर रहे भूख हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बुधवार की रात से पानी पीना भी बंद करने की धमकी दी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई बैठक में जारांगे-पाटिल से सहयोग की अपील की गई और उनसे भूख हड़ताल खत्म करने और पिछले चार दिनों से महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैली हिंसा को खत्म करवाने का आग्रह किया गया।
जरांगे-पाटिल ने गांव में एक मंच पर गद्दे पर लेटे हुए मीडियाकर्मियों से कहा, “मेरी भूख हड़ताल के आठ दिनों के बाद भी सरकार समय चाहती है? उन्हें कितना समय चाहिए और क्यों? इसकी क्या गारंटी है कि अगर हम उन्हें और समय देंगे तो हमें वास्तव में कोटा मिल जाएगा? उन्हें केवल समय बर्बाद करने के लिए इस तरह और समय की मांग नहीं करनी चाहिए।”
इससे पहले, मराठा कार्यकर्ता ने कहा था कि उन्हें सीएम पर कोई भरोसा नहीं है, और बुधवार को उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर कड़वाहट भरेे लहजे में कहा कि “सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं, वे सिर्फ मराठों के सवालों को नजरअंदाज कर रहे हैं।”
जारांगे-पाटिल ने अपनी मांग दोहराई कि जब तक समुदाय को पूर्ण कोटा नहीं दिया जाता, वह अपनी भूख हड़ताल जारी रखेंगे और बुधवार रात से इसे और अधिक सख्त कर देंगे, पानी पीना भी बंद कर देंगे।
उन्होंने कहा, ”सर्वदलीय बैठक में क्या चर्चा हुई, इसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है… मैं जवाब चाहता हूं। क्या आप सभी मराठों को ‘कुनबी जाति’ प्रमाणपत्र जारी करने जा रहे हैं? हमें अपने विचार बताएं, मराठा जानना चाहते हैं। मराठा कभी किसी को धोखा नहीं देते या विश्वासघात नहीं करते…।”
भाजपा के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ”फड़णवीस को यहां आकर हमसे मिलने दीजिए… मराठा उन्हें नहीं रोकेंगे, हम उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगे… हमने उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया, लेकिन वह नहीं आए… वे जानबूझकर समय मांगकर समुदाय को भड़का रहे हैं… मैं अपनी टीम से चर्चा करूंगा और तब फैसला करूंगा।”
शिवबा संगठन प्रमुख ने फड़नवीस की आलोचना करते हुए कहा कि अब सरकार इस सप्ताह की शुरुआत में हुई हिंसा के लिए मराठों के बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करके उन्हें निशाना बना रही है।
पिछले कुछ दिनों में छत्रपति संभाजीनगर या बीड जैसे कुछ स्थानों पर इंटरनेट बंद किए जाने पर जारांगे-पाटिल ने इसे “सरकार की साजिश” करार दिया और कहा कि इसका उद्देश्य था मराठा आरक्षण आंदोलन को बदनाम करना।
उनकी सख्त टिप्पणियां सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मत प्रस्ताव अपनाए जाने के कुछ घंटों बाद आईं, जिसमें मराठा कोटा देने की प्रतिबद्धता जताई गई थी, लेकिन इसके लिए और समय मांगा गया है।
बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, शिवसेना (यूबीटी) के नेता विपक्ष (परिषद) अंबादास दानवे, विपक्ष के नेता (विधानसभा) विजय वडेत्तीवार और अन्य सहित लगभग 32 नेताओं ने भाग लिया।
प्रस्ताव में कहा गया, ”मराठाओं को आरक्षण देने को लेकर हम एकमत हैं। ऐसा आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही किया जा सकता है जो कानूनी जांच का सामना कर सके। इसके लिए सभी राजनीतिक दल मिलकर काम करने को तैयार हैं।”
सीएम के रुख को दोहराते हुए प्रस्ताव में कहा गया है, “कानूनी औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी की जाएंगी। इसके लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।”
बैठक में शामिल नेताओं ने कहा, “राज्य में जिस तरह की हिंसा भड़की है, वह उचित नहीं है और इससे मराठा आरक्षण आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। हम ऐसी हिंसा के सख्त खिलाफ हैं। किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने कहा, हम राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की अपील करते हैं।“
मुख्यमंत्री और उपस्थित सभी नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव में कहा गया है कि उन्होंने जारांगे-पाटिल से सरकार के साथ सहयोग करने और भूख हड़ताल खत्म करने की भी अपील की।
–आईएएनएस