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- लाल टिपारा गोशाला में...
इंदौर: नगर निगम की लाल टिपारा गोशाला में थारपारकर, कांकरेज, गिर, रेड सिंधी, साहीवाल, हरियाणवी व निमाड़ी नस्ल की गाय तैयार की जा रही हैं. इनमें से 8 से 10 बछड़ा व बछिया को बनारस, धौलपुर, गोरस, श्योपुर सहित अन्य स्थानों पर भेजा गया है.
गोशाला के मनू महाराज ने बताया कि देशी नस्ल गायब होती जा रही हैं. विदेशी नस्ल की मांग बढ़ रही है. इसी को ध्यान में रख देशी नस्ल को बढ़ावा दिया जा रहा है. गोशाला में स्वामी ऋषभ देवानंद महाराज, मनु महाराज, पशु चिकित्सालय के संपर्क में रहकर देशी नस्ल को सुधारने के साथ ही उनके खान-पान बीमारी का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
ऐसे समझें
रेड सिंधी: उत्तराखंड से करीब तीन साल पूर्व नस्ल लाई गई थी. 12 गाय हैं.
गिर: गुजरात की नस्ल है. तीन साल पूर्व गोशाला में लाई गई थी. गाय 40 और बछड़ा-बछिया 25 हैं.
थारपारकर: राजस्थान की नस्ल है. छोटी गाय है. गोशाला में गाय 10 व बछड़ा की संख्या 10 है.
कांकरेज: राजस्थान की नस्ल. 25 गाय हैं. यह तीन साल पूर्व लाई गई थी.
साहीवाल: हरियाणा व पंजाब की नस्ल. गोशाला में करीब 8 नंदी व गाय हैं.
निमाड़ी: मालवा-निमाड़ की नस्ल. पांच साल पूर्व बछिया लाई गई थी.