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इंदौर: अपनी खूबसूरती के लिए सराहे जाने वाले मोनाल पक्षी को उत्तराखंड व नेपाल के राष्ट्रीय राजकीय पक्षी के रूप में पहचान मिली हुई है. सिर्फ क्षेत्र विशेष में नहीं बल्कि विश्व के सुंदरतम पक्षियों में मोनाल का नाम आता है. मुर्गे की प्रजाति के इस खूबसूरत पक्षी को विज्ञान जगत में लोफोफोरस इंपीजेनस के नाम से जाना जाता है.
मोनाल पक्षी नेपाल व कश्मीर की बर्फीली पहाड़ियों, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, तिब्बत और भूटान जैसे पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है. नेपाल और उत्तराखंड में इसे ‘डॉफे ’ के नाम से जाना जाता है. बर्फीले पहाड़ों पर यह चार हजार मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है. हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले मोनाल के पैर बहुत मजबूत व चोंच लंबी घुमावदार होती है. इस पक्षी का वजन दो किलो के आसपास होता है.
चार प्रजातियां पाई जाती हैं
पंख होते हैं बहुरंगी
इसके शरीर पर रंग-बिरंगे सुंदर पंख और सिर पर लंबी कलगी होती है. मादा भूरे और काले रंग की होती है. नर मोनाल अधिक उत्तेजित व आक्रोशित स्वभाव का होता है. हिमाचल प्रदेश में नर मोनाल व मादा मोनाल की पहचान अलग-अलग नामों से की जाती है. नर मोनाल को यहां ‘बोनाल’ और मादा को ‘करड़ी’ नाम से पुकारा जाता है. मोनाल पक्षी घोंसला नहीं बनाते. अंडों के लिए ये किसी चट्टान या पेड़ के कोटर की तलाश करते हैं. मादा मोनाल एक बार में 4 से 6 अंडे देती है. इसके अंडों का रंग हल्का पीला होता है, जो एक से डेढ़ माह में विकसित हो जाते हैं. मोनाल अपनी विशेष घुमावदार चोंच के कारण जमीन के अंदर से अपना भोजन आसानी से जुटा लेता है. कीड़े-मकोड़ों के अलावा यह कंद-मूल, फल और फूलों के बीज भी खाता है.