राजनीतिक : राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, बिजली-सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी, लाइसेंस परमिट राज, आयातकों की मजबूत लाबी जैसे कारणों से देश विनिर्माण में पिछड़ता चला गया। उदारीकरण-भूमंडलीकरण के दौर में लाइसेंस-परमिट राज कम होने से आयात तेजी से बढ़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि जो घरेलू सामान हजारों वर्षों से देश में बन रहे थे, उनका भी चीन से आयात होने लगा जैसे-झाड़ू।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने सर्वाधिक बल घरेलू विनिर्माण पर दिया। इसके तहत सड़क, बिजली, बंदरगाह, लाजिस्टिक सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के साथ-साथ पुराने कानूनों को बदला गया। इसके बाद सरकार ने निवेश बढ़ाने, आयात घटाने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2020 में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआइ) शुरू की। इसके तहत चिह्नित कंपनियों को भारत में एक न्यूनतम राशि का निवेश करना होता है। इसमें विनिर्माण उत्पाद की क्रमिक बिक्री पर तीन से पांच साल तक कंपनियों को नकद प्रोत्साहन दिया जाता है।