पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई

Shiddhant Shriwas
18 Jun 2022 1:49 PM GMT
पश्चिम बंगाल : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई
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BENGAL KAVYANJALI-कोलकाता। ....अब वाणी में अंगार धमनी में उबाल चाहिए समेत कई वीर रस की कविताओं के साथ राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल ने 17 जून को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि मनाई। कवि संगम ने लक्ष्मीबाई के बलिदान के लिए ऑनलाइन भावपूर्ण काव्यांजलि आयोजित की। संचालन अनन्या राय और अध्यक्षता हास्य कवि डॉ अशोक बत्रा ने की। राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल अध्यक्ष गिरिधर राय ने शनिवार को यह जानकारी दी। शुरुआत हिमाद्रि मिश्रा की सरस्वती वंदना से हुई। काव्यांजलि के मुख्य अतिथि संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री अशोक बत्रा ने झांसी की रानी की वीरता शौर्य का बखान कर राष्ट्रीय कवि संगम की टीम की सराहना की। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साहस का वर्णन करते हुए उन्होंने -कामनाओं सी धधकती है जवानी....सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने संदेश दिया कि ....यूं तो मेरे देश में एक नहीं हजाऱ मोहन हुए उनमें एक मुरली बजाने वाला मोहन कृष्ण, दूसरे मोहनदास करमचंद गांधी, तीसरे मनमोहन और चौथे शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा जो दिल्ली आतंकी हमले में शहीद हुए।

इन्होंने पेश की कविता
प्रान्तीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने लक्ष्मीबाई के अनुकरणीय चरित्र पर प्रकाश डालते हुए देशप्रेम से जुडी़ बातों को श्रोताओं के समक्ष रखा। जहां खुशी मिश्रा, अनन्या राय और मल्लिका रुद्रा की ओजपूर्ण रचनाएं थीं तो दूसरी ओर मनोरमा झा की कविता - हम सब एहि माटिक संतान, श्यामा सिंह की कविता -भूला सकेंगे कथा कभी क्या हम लक्ष्मी मर्दानी की, देश मातृका के चरणों पर मिटने वाली रानी की, हिमाद्रि मिश्र की - अब वाणी में अंगार चाहिए, धमनी में उबाल चाहिए, प्रांतीय महामंत्री रामपुकार सिंह की गजल - थी वीर बाला हिंद की झांसी की महरानी और स्वागता बसु की कविता - अब तो हम भी सीख रहे है हंसना झूठी बातों पर ने वाहवाही बटोरी। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सह - महामंत्री महेश शर्मा ने रचनाकारों की प्रशंसा की। देवेश मिश्रा ने सुभद्राकुमारी चौहान की रानी लक्ष्मीबाई कविता का पाठ कर धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर रामाकान्त सिन्हा, सुषमा पटेल, कृष्णानन्द मिश्र, नीलम मिश्रा, विष्णु प्रिया त्रिवेदी, सीमा सिंह सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।


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