पश्चिम बंगाल

Muktanchal के साहित्यिक अड्डा में कौशल किशोर और विमल किशोर का कविता पाठ

Gulabi Jagat
19 Nov 2024 3:16 PM GMT
Muktanchal के साहित्यिक अड्डा में कौशल किशोर और विमल किशोर का कविता पाठ
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Howrah हावड़ा/कोलकाता। विद्यार्थी मंच, 'मुक्तांचल' पत्रिका एवं गाथा प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान में ‘रेवांत पत्रिका’ के प्रधान संपादक, कवि व साहित्यकार कौशल किशोर व कवयित्री विमल किशोर के लखनऊ से कोलकाता आगमन पर 'मुक्तांचल' पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा द्वारा उनके सम्मान में एक ‘साहित्यिक अड्डा’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गीतकार डॉ. शांति सुमन जी को दो मिनट मौन रख कर श्रद्धांजलि से हुई।
इस अवसर पर कौशल किशोर ने कहा कि जनतांत्रिक माहौल में नियमित रूप से गोष्ठियों व चर्चा-परिचर्चा आदि का आयोजन होते रहना सुखद है। मुक्तांचल के इस साहित्यिक अड्डा में शामिल होकर पुराने रचनाकार साथियों के साथ ही नए रचनाकारों से मिलने तथा अपनी रचनाएं सुनाने का मौका मिलना आनंदित करता है। कौशल किशोर ने रामचन्द्र शुक्ल और मुक्तिबोध को उद्धृत करते हुए कहा कि भले ही जनतंत्र सीमित हो रहा हो लेकिन कविता में जनतंत्र का विस्तार दिखता है।
कौशल किशोर ने तीन कविताएं सुनाईं। उनकी 'मैं और मेरी परछाई ' कविता में स्त्री व पुरुष की समानता का स्वर है। वहीं 'वह हामिद था ' प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' की याद दिलाती है। कविता नफ़रत की राजनीति को निशाना बनाती है। शैलेन्द्र शांत ने दो कविताएं सुनाईं। 'विध्वंस' शीर्षक कविता में गहरी व्यंजना तथा वर्तमान की विसंगतियों पर तंज है। विमल किशोर ने 'युद्ध के विरुद्ध' कविता का पाठ किया। यह कविता फिलीस्तीनी जनता के संहार को सामने लाती है। गजलकार सेराज ख़ान बातिश ने कहा कि संवाद के इस दुर्दिन में अगर कोई
साहित्यिक संवाद
का खुला मंच है, तो बड़ी बात है। हावड़ा का ‘मुक्तांचल साहित्यिक अड्डा’ हमारे लिए संवाद का आंगन है। डा. मीरा सिन्हा ने साहित्य के संवाद के लिए अपना धन, समय और स्थान दे रखा है। उन्होंने ग़ज़ल सुनाई 'लिख रहा हूं जुनून में क्या-क्या?'
'मुक्तांचल' के साहित्यिक अड्डा में मंजु श्रीवास्तव, प्रो. शुभ्रा उपाध्याय, यशवंत सिंह, प्रिया श्रीवास्तव, डॉ. विजया सिंह, सुशील कुमार पाण्डेय, प्रकाश त्रिपाठी, प्रिंस मिश्रा ने अपनी स्वरचित कविता का पाठ किया। प्रसिद्ध रंगकर्मी महेश जयसवाल ने शील जी का गीत ‘उठाओ कलम सर कलम हो रहे हैं’ व विवेक लाल ने इंकलाबी गीत का अभिनयात्मक पाठ किया। जनता आदर्श विद्यालय की कक्षा 7वीं के छात्र स्वराज पाण्डेय ने भी कविता सुनाई।
साहित्य चिंतक मृत्युंजय श्रीवास्तव ने वर्तमान समय के संकट और खतरों पर अपनी बात रखी। प्रो. विनय मिश्र ने मुक्तांचल पत्रिका के विशेष अंक ‘रमेश कुंतल मेघ’ जुलाई-सितंबर पर चर्चा की। मुक्तांचल के ‘लोक साहित्य विशेषांक’ अक्तूबर–दिसंबर पर अतिथि संपादक डॉ. पंकज साहा ने बात की। कविता एवं संवाद को समर्पित इस सुंदर और सृजनात्मक शाम में आयोजित कार्यक्रम का सफल संचालन विनोद यादव ने किया। इस अवसर पर डॉ. प्रकाश अग्रवाल, विनीता लाल, पद्माकर व्यास, राम नरेश पाण्डेय, परमजीत पंडित, युवराज राय, बलराम साव, शशि साव एवं अन्य उपस्थित थे।
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