पश्चिम बंगाल

भूजल का अंधाधुंध इस्तेमाल, पानी में बढ़ रहा आर्सेनिक का स्तर, विशेषज्ञों ने पुनर्भरण की दी सलाह

jantaserishta.com
24 March 2022 2:07 PM GMT
भूजल का अंधाधुंध इस्तेमाल, पानी में बढ़ रहा आर्सेनिक का स्तर, विशेषज्ञों ने पुनर्भरण की दी सलाह
x

कोलकाता। कोलकाता में भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल से जलस्तर तेजी से घट रहा है। यह खतरनाक स्थिति है। जल में आर्सेनिक का स्तर भी बढ़ रहा है। विशेषज्ञ भूजल पुनर्भरण की सलाह देते हैं। कोलकाता, दक्षिण 24 परगना, बांकुड़ा, बीरभूम, मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना खतरनाक स्थिति में हैं। घर के कामों से लेकर कपड़े धोने तक सब कुछ में भूजल का इस्तेमाल हो रहा है। इसके चलते जलस्तर गिर रहा है। जिलों की स्थिति और भी खराब है। कृषि के लिए मनमाने ढंग से जमीन से पानी निकाला जा रहा है। प्रदेश के करीब 107 प्रखंड इस समय आर्सेनिक से प्रभावित हैं। खेती के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी में आर्सेनिक सब्जियों के माध्यम से अनजाने में मानव शरीर में प्रवेश कर रहा है। और इससे लोग धीरे-धीरे मौत के कगार पर पहुंच रहे हैं।

विश्व जल दिवस पर भारत चैंबर आफ कामर्स में आयोजित परिचर्चा में जादवपुर विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता प्रोफेसर तडि़त रायचौधरी ने कहा कि कोलकाता सहित दक्षिण बंगाल के जिलों में भूजल स्तर गिर रहा है। इसलिए पानी में आर्सेनिक का स्तर भी बढ़ रहा है। कोलकाता के करीब 77 वार्ड आर्सेनिक से प्रभावित हैं। इनमें से 37 वार्डों में प्रति लीटर पानी में 0.5 मिलीग्राम से अधिक आर्सेनिक पाया गया है। इन 37 वार्डों में से 19 वार्ड दक्षिण कोलकाता में हैं। उत्तर 24 परगना का लगभग हर ब्लाक आर्सेनिक से दूषित है। उन्होंने कहा कि जिलों में कृषि में भूमिगत जल संसाधनों का बड़े पैमाने पर अपव्यय हो रहा है। जलस्तर नीचे जा रहा है। दक्षिण 24 परगना जिलों में दूसरे स्थान पर है। इस जिले के राजपुर-सोनारपुर नगरपालिका के 26 वार्डों में आर्सेनिक का प्रकोप है और 14 वार्डों में फ्लोराइड पाया गया है।
नदी विशेषज्ञ और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने कहा कि नदी भूजल से जुड़ी है। भूजल स्तर गिर रहा है। उत्तर बंगाल की नदियां अब लगभग सूख चुकी हैं। इसलिए भूजल को रिचार्ज करने का समय आ गया है। भूजल को कैसे रिचार्ज किया जाए, इस पर विचार किया जाना चाहिए। अगर इस तरह से पानी का रिचार्ज नहीं किया गया तो गंगा 100 साल में सूख जाएगी।
पर्यावरणविद स्वाति नंदी चक्रवर्ती ने कहा कि बंगाल कृषि प्रधान राज्य है। कृषि को रोका नहीं जा सकता। हालांकि, वैज्ञानिक आधार पर एक खाका बनाने की जरूरत है कि कहां कम पानी की जरूरत है। साथ ही वाटर कैच प्रोजेक्ट पर जोर दिया जाए। भूजल का उपयोग बंद करने के लिए किसानों को जागरूक करने की जरूरत है। बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस सुरेश कुमार ने माना है कि कई जिलों में जलस्तर गिर रहा है। डब्ल्यूबीआरआइडीके मुख्य सचिव प्रभात मिश्रा ने कहा कि के अति प्रयोग से समस्या और बढ़ गई है।

Next Story