पश्चिम बंगाल

राज्यपाल ने ममता सरकार पर लगाया शक्तियों का हनन करने, और फैसलों को नजरंदाज करने का आरोप

Bharti sahu
26 May 2022 4:44 PM GMT
राज्यपाल ने ममता सरकार पर लगाया शक्तियों का हनन करने, और फैसलों को नजरंदाज करने का आरोप
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राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच का विवाद किसी से छिपा नहीं है। धनखड़ आए दिन ममता सरकार पर राज्यपाल की शक्तियों का हनन करने, उनके फैसलों को नजरंदाज करने और आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते रहते हैं

राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच का विवाद किसी से छिपा नहीं है। धनखड़ आए दिन ममता सरकार पर राज्यपाल की शक्तियों का हनन करने, उनके फैसलों को नजरंदाज करने और आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाते रहते हैं। अब ममता मंत्रिमंडल ने उनके खिलाफ एक और बड़ा फैसला किया है। बंगाल के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी होंगी। इसके फलस्वरूप राज्यपाल का सरकारी विश्वविद्यालयों पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं रहेगा। ममता सरकार इसे लेकर विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल अगर इस बिल का मंजूरी नहीं देंगे तो इस बाबत अध्यादेश लाया जाएगा। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने गुरुवार को कहा कि राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के लिए जल्द विधानसभा में बिल पेश किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
गौरतलब है कि बंगाल के 24 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल ने आरोप लगाया था कि उनकी यानी कुलाधिपति की मंजूरी के बिना और आदेशों की अवहेलना करते हुए ऐसा किया गया। जल्द ही इन्हें वापस नहीं लिया गया तो मजबूरन कार्रवाई की जाएगी। ' वहीं इससे पहले राजभवन में राज्यपाल की ओर से बुलाई गई बैठक में निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के शरीक नहीं होने को लेकर भी विवाद हुआ था। विरोधी दलों ने इसे लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा है।
बंगाल भाजपा के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार मनमानी कर रही है। यह शिक्षा विभाग में हुए भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने की कोशिश है। वरिष्ठ माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने मंत्रिमंडल के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।शिक्षाविदों का एक वर्ग भी इसके समर्थन में नहीं है। अमल मुखोपाध्याय ने कहा कि इससे शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा और वहां राजनीति शुरू हो जाएगी। राज्यपाल के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने की व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से है। इसे अचानक इस तरह से बदलना उचित नहीं है।


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