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पश्चिम बंगाल
बकरी के कान की हड्डी से डॉक्टरों ने बनाए इंसानों के कटे होंठ और कान, 25 मनुष्यों में शारीरिक विकृतियों को ठीक करने में सफलता
Shiddhant Shriwas
15 Jun 2022 2:44 PM GMT
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बंगाल में राज्य सरकार द्वारा संचालित एक मेडिकल कालेज के शोधकर्ताओं की एक टीम (Team of Researchers) ने बकरी के कान की हड्डियों का उपयोग कर इंसानों के कटे होंठ व कान (Severed lips and ear) की विकृति ठीक करने में सफलता पाई है। डॉक्टरों ने ऐसे एक दो नहीं कम से कम 25 मनुष्यों में शारीरिक विकृतियों को ठीक करने में सफलता पाई है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस प्रकिया से इलाज में खर्च भी बहुत कम आता है।
आरजी कार मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (RG Medical College and Hospital) के चिकित्सकों और वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी आफ एनिमल एंड फिशरी साइंसेज (West Bengal University of Animal and Fisheries Sciences) के वैज्ञानिकों ने मानव की कान के बाहरी हिस्से में विकृति (माइक्रोटिया), कटे होंठ और दुर्घटना से हुई अन्य शारीरिक विकृतियों को ठीक करने के लिए बकरी के कान की हड्डियों (उपास्थि) का उपयोग किया है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में इलाज का खर्च बहुत कम आएगा।
केंद्र जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने दिया फंड
आरजी कार मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. डा रूप नारायण भट्टाचार्य ने कहा कि कटे होंठ और घुमावदार कान जैसी विकृतियों को ठीक कराने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत पड़ती है। यह प्रक्रिया न केवल खर्चीली है बल्कि मुश्किल भी है। ऐसे उदाहरण हैं, जिनमें मानव शरीर प्लास्टिक और सिलकान प्रतिरोपण को लंबे समय तक सहेज कर नहीं रख पाते हैं। पशु चिकित्सा सर्जन डा शमित नंदी और माइक्रोबायोलाजिस्ट डा सिद्धार्थ जोरदार ने कहा कि मानव शरीर के लिए सिलकान और प्लास्टिक प्रतिरोपण के आसानी से उपलब्ध एक विकल्प की 2013 से ही तलाश की जा रही थी। अनुसंधान के लिए परियोजना को केंद्र के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने वित्त उपलब्ध कराया।
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