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CM ममता बनर्जी ने दिवाली पर कालीघाट आवास में की काली पूजा, पूरे दिन रखा उपवास
फाइल फोटो
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कोलकाता आवास पर पिछले तीन दशक से काली पूजा हो रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूजा के लिए पूरे दिन का व्रत रखती हैं और खुद ही भोग बनाती हैं. ममता बनर्जी के आवास पर 1978 से ही कालीपूजा का आयोजन होते आ रहा है. दीपावली पर पूजा के दौरान प्रत्येक साल कई आम और खास जुटते हैं. काली पूजा के लिए मुख्यमंत्री ने अपने दरवाजे सभी के लिए खोल देती हैं. पूजा में तमाम वीवीआइपी, कैबिनेट मंत्रियों, नेताओं और अन्य लोग हिस्सा लेते हैं, हालांकि इस साल ऐसा नजर नहीं आया.
खुद बनाती हैं प्रतिमा
इस पूजा के लिए ममता मां काली की प्रतिमा निर्माण में बड़े भाई अरुण वरुण का सहयोग भी करती हैं. वरुण पेशे से रेलकर्मी हैं. काली पूजा के पहले वे प्रतिमा निर्माण के लिए छुट्टी ले लेते हैं. प्रतिमा निर्माण का काम उनके परिवार मेंतीन पीढ़ियों से चला आ रहा है. इसकी शुरुआत उनके पूर्वज फकीर चंद्र पाल ने की थी. उसके बाद अमरनाथ पाल ने यह काम संभाला और साढ़े तीन दशक पहले उन्होंने ममता बनर्जी के घर के लिए काली प्रतिमा गढ़ना शुरू किया और अब उनके बेटे वरुण इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.
CM ममता ने दी दिवाली की बधाई
उधर पश्चिम बंगाल में अदालत द्वारा पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाने के बीच, दीपावली और काली पूजा के अवसर पर बृहस्पतिवार को सुबह से मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की कतार देखी गई. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनायें दी. राज्यपाल ने ट्वीट किया, "दिवाली के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं और बधाई. दीवाली हमें अंधरे पर प्रकाश की विजय का संदेश देती है. आइये हम जरूरतमंदों और असहायों के जीवन में उम्मीद की रौशनी भरें और मानवता के मूल्यों को सीचें."
मुख्यमंत्री बनर्जी ने ट्वीट किया, "काली पूजा के अवसर पर सभी को शुभकामनायें. मां काली आपको और आपके परिजनों को खुशी, ताकत और विवेक प्रदान करें." आज दिन की शुरुआत से ही बहुत से लोग मिठाइयों की दुकानों के बाहर दिखाई दिए और काली पूजा की शुभकामनायें दी. कोलकाता के बाहरी इलाके में स्थित दक्षिणेश्वर मंदिर में दिन बढ़ने के साथ ही लोगों की कतार लंबी होती गई. मंदिर के न्यासी कुशल चौधरी ने बताया कि प्रबंधन ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए कमर कसी है. उन्होंने कहा कि मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं का प्रवेश द्वार पर ही तापमान मापा गया.